Parliament Special Session: नई संसद में कार्यवाही के शुभारंभ के साथ ही केंद्र सरकार ने लोकसभा में महिला आरक्षण बिल (Women Reservation Bill) पेश कर दिया है। जिसमें लोकसभा और विधानसभा में महिलाओं को 33 फीसदी आरक्षण मिलने का प्रावधान है। इस बिल को पेश किए जाने के बाद दौरान विपक्ष और सरकार के बीच जुबानी जंग देखने को मिली है। दोनों में महिला आरक्षण बिल का श्रेय लेने की कोशिश की जा रही है।
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लोकसभा में मंगलवार को बिल के पेश होने के बाद आज यानी बुधवार को इस पर चर्चा होनी है। इस दौरान हंगामे के आसार नजर आ रहे हैं। एकतरफ जहां सरकार महिला आरक्षण बिल को ऐतिहासिक कदम बताया है। वहीं, कांग्रेस ने महिला आरक्षण बिल को सोनिया गांधी की सोच बताते हुए भाजपा पर गुमराह करने का आरोप लगाया है। इस मुद्दे पर कांग्रेस प्रवक्ता सुरेन्द्र राजपूत (Congress Spokesperson Surendra Rajput) ने कहा कि हमारी सरकार से मांग है कि 2010 में महिला आरक्षण के लिए जो कांग्रेस ने किया था उसे लागू किया जाए। महिला आरक्षण 2010 में ही राज्यसभा में पारित हो गया था। भाजपा और सरकार केवल जुमलेबाजी करती है।
महिला आरक्षण बिल पर कांग्रेस के राज्यसभा सांसद प्रमोद तिवारी ने कहा कि मोदी सरकार केवल जुमला देती है। इस आरक्षण के अंदर कोटा दिया जाए। महिला आरक्षण भी मोदी सरकार के लिए एक जुमला है। मोदी सरकार को 2024 में यह आरक्षण लागू करना चाहिए था।
जनगणना के बाद लागू होगा बिल
केंद्र सरकार को महिला आरक्षण बिल को संसद के दोनों सदनों से पास कराना होगा, जिसके लिए दो-तिहाई बहुमत से पास कराना जरूरी है। इसके बाद बिल आधे राज्यों/केंद्र शासित राज्यों की विधानसभा से पास होगा। इसे राज्यों में बहुमत से बिल पास कराना होगा। इस बिल को जनगणना के बाद लागू किया जा सकता है। बिल के कानून बनने के बाद शुरू जनगणना होगी। साल 2026 के बाद जनगणना संभव है। जनगणना के बाद परिसीमन भी जरूरी है। वहीं, परिसीमन के बाद ही महिलाओं को आरक्षण मिल सकेगा।