पटना: बिहार में जातीय जनगणना (Caste Census) को लेकर पटना हाईकोर्ट (Patna HighCourt ) ने मंगलवार को बड़ा फैसला दिया है। कोर्ट ने साफ कर दिया कि राज्य में जातीय जनगणना (Caste Census) जारी रहेगी। अदालत ने जातीय जनगणना (Caste Census) पर रोक को लेकर दायर सभी याचिकाओं को खारिज कर दिया है। हाईकोर्ट ने बिहार में जाति आधारित गणना और आर्थिक सर्वे (Economic Survey) पर लगी रोक से संबंधित याचिका को खारिज कर दिया है। पटना हाईकोर्ट (Patna HighCourt ) से नीतीश कुमार सरकार (Nitish Kumar Government) के लिए ये राहत भरी खबर है।
पढ़ें :- रायबरेली की 'दिशा मीटिंग' में मुझे दलित, OBC वर्ग के अफसर नहीं मिले, हिंदुस्तान में जातिगत जनगणना होकर रहेगी: राहुल गांधी
कोर्ट ने खारिज की सारी याचिकाएं
बिहार में जातीय जनगणना (Caste Census) को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर लगातार सुनवाई हो रही थी। जुलाई में सुनवाई पूरी हुई थी जिसके बाद पटना हाईकोर्ट (Patna HighCourt ) ने फैसला सुरक्षित रख लिया था। जातीय जनगणना (Caste Census) के खिलाफ दायर याचिकाओं पर चीफ जस्टिस केवी चंद्रन की खंडपीठ (Bench of Chief Justice KV Chandran) लगातार पांच दिनों से सुनवाई कर रही थी। सुनवाई पूरी होने के बाद फैसला सुरक्षित रखा और अब फैसला सुनाया गया।
जातीय जनगणना की 7 जनवरी को हुई थी शुरुआत
बिहार में सात जनवरी 2023 से जातीय जनगणना (Caste Census) की शुरुआत हुई थी। हालांकि, हाईकोर्ट ने अंतरिम आदेश देते हुए राज्य सरकार की ओर से कराई जा रही जातीय और आर्थिक सर्वेक्षण (Economic Survey) पर चार मई को रोक लगा दिया था। रोक लगा देने के बाद कोर्ट ने ये जानना चाहा था कि जातियों के आधार पर गणना और आर्थिक सर्वेक्षण (Economic Survey) कराना कानूनी बाध्यता है? कोर्ट ने ये भी पूछा था कि ये अधिकार राज्य सरकार के क्षेत्राधिकार में है या नहीं? साथ ही कोर्ट ने ये भी जानना कि इससे निजता का उल्लंघन होगा क्या?
पढ़ें :- Caste Census : जाति जनगणना पर आया सुप्रीम कोर्ट का फैसला, कहा- यह नीतिगत मामला, अब गेंद केंद्र के पाले में
जानें पटना हाईकोर्ट ने क्या कहा?
हालांकि, अब कोर्ट ने जातीय जनगणना (Caste Census) पर रोक को लेकर दायर सभी याचिकाएं खारिज कर दीं। हाईकोर्ट के फैसले से साफ हो गया कि राज्य में जातीय जनगणना आगे भी जारी रहेगी। नीतीश कुमार सरकार (Nitish Kumar Government) ने खास तौर से कास्ट सर्वे का फैसला लिया था। इसके लिए केंद्र से अपील भी की गई थी लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई। जिसके बाद प्रदेश सरकार ने अपने स्तर पर इस कराने का फैसला लिया।