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Pitru Paksha 2023 :  जानें कब से आरंभ हो रहा है पितृ पक्ष, पितरों को श्रद्धा पूर्वक स्मरण का है समय

By अनूप कुमार 
Updated Date

Pitru Paksha 2023 : सनातन धर्म अपने पूर्वजों को श्रद्धापूर्वक स्मरण करने और उनकी आत्मा की शान्ति के लिए  पितृपक्ष में तर्पण और पिंडदान किया जाता है। पितृपक्ष उस समय काल को कहते है जब ​पितृगण को तिथि के अनुसार पिंडदान किया जाता है। पौराणिक ग्रंथों में ​पूर्वजों के आत्मा की शान्ति के लिए विशेष नियम बताए गए है। इन नियमों का पालन करते हुए पूर्वजों की आत्मा की शान्ति के देवताओं  से प्रार्थना करे का विधान और पूर्वजों  की स्मृतियों के लिए जरूरतमंदों को दान दिया जाता है।

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ब्रह्म पुराण के अनुसार देवताओं की पूजा करने से पहले मनुष्य को अपने पितरों की पूजा करनी चाहिए ,क्योंकि माना जाता है कि इससे देवता प्रसन्न होते हैं।धार्मिक ग्रंथों के अनुसार, पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए पिंडदान किया जाता है। इस दिन बनाए गए सादे भोजन को सबसे पहले जिन पितरों का श्राद्ध किया जा रहा है उनके नाम से भोजन निकालकर दक्षिण दिशा में रख दें। साथ ही गाय, कौवा, चिड़िया, चींटी और ब्राह्मण आदि के लिए भी भोजन निकाले। इसके बाद मृत परिजनों के नाम से दान जरूर करें।

वैदिक पंचांग के अनुसार, पितृ पक्ष प्रत्येक वर्ष भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा से शुरू होकर आश्विन मास की अमावस्या तक चलता है। इस अवधि को पितृ पक्ष कहा जाता है। यह तिथि इस साल 29 सितंबर 2023 को शुक्रवार के दिन पड़ रही है। वहीं, इसका समापन अश्विन कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि को होता है। यह तिथि इस बार 14 अक्टूबर को शनिवार के दिन पड़ रही है।

मान्यता है कि यदि किसी की कुंडली में पितृ दोष है तो पितृ पक्ष में इस दोष से मुक्ति पाने के सबसे श्रेष्ठ समय है।

पितृ पक्ष
29 सितंबर- पूर्णिमा श्राद्ध
30 सितंबर- द्वितीया श्राद्ध
1 अक्टूबर- तृतीया श्राद्ध
2 अक्टूबर- चतुर्थी श्राद्ध
3 अक्टूबर- पंचमी श्राद्ध
4 अक्टूबर- षष्ठी श्राद्ध
5 अक्टूबर- सप्तमी श्राद्ध
6 अक्टूबर- अष्टमी श्राद्ध
7 अक्टूबर- नवमी श्राद्ध
8 अक्टूबर- दशमी श्राद्ध
9 अक्टूबर- एकादशी श्राद्ध
11 अक्टूबर- द्वादशी श्राद्ध
12 अक्टूबर- त्रयोदशी श्राद्ध
13 अक्टूबर- चतुर्दशी श्राद्ध
14 अक्टूबर- सर्व पितृ अमावस्या

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