Pooja ka Aasan : सनातन धर्म में पूजा पाठ का विशेष महत्व है। हिंदू जीवन शैली में पूजा पाठ दिनचर्या का हिस्सा है। जीवन में ईश्वर की कृपा प्राप्त करने के लिए शास्त्रों द्वारा बताए गए रास्ते पर चलकर पाई जा सकती है। हिंदू धर्म में पूजा पाठ , अनुष्ठाान ,में शास्त्रों द्वारा बताई गई बातों का पालन करना पड़ता है। पूजा पाठ में आसन का बहुत महत्व है। आसन विछा कर ईश्वर की पूजा की जाती है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, आसन पर बैठ कार पूजा करने के विशेष फल प्राप्त होते है। अलग अलग देवी देवताओं के लिए अलग प्रकार के आसन का प्रयोग करने के विधान है। आइये जानते है पूजा पाठ में किस तरह के आसन का प्रयोग करना फलदायी हेागा।
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1.कभी किसी दूसरे का आसन न तो प्रयोग में लेना चाहिए और न ही अपना आसन उसे प्रयोग के लिए देना चाहिए।
2.अगर आप नियमित पूजा के लिए लाल, पीला, सफेद आसन प्रयोग करें। लेकिन अगर कोई विशेष साधना करनी है, तब आसन के रंगों का चुनाव उसी अनुरूप करना चाहिए।
3.सुख शांति, ज्ञान प्राप्ति, विद्या प्राप्ति और ध्यान साधना के लिए पीला आसन श्रेष्ठ माना गया है। वहीं शक्ति प्राप्ति, ऊर्जा, बल बढ़ाने के लिए मंत्रों को जपते समय लाल रंग के आसन का प्रयोग करें।
4.महाकाली, भैरव की पूजा साधना में काले रंग के आसन का प्रयोग किया जाता है।
5. शत्रु नाश के लिए की जाने वाली साधना में भी काले आसन और लाल आसन का प्रयोग लिया जाता है।
सामान्य पूजा के लिए कंबल आसन प्रयोग करें।
6.पूजा के बाद आसन को यूं ही छोड़कर उठना भी गलत माना गया है। उठने से पहले धरती पर दो बूंद जल डालें इसके बाद धरती को प्रणाम करें। फिर जल को मस्तक से लगाएं। इसके बाद आसन को उठाकर यथा स्थान रखें। ऐसा करने से आपको अपनी साधना का पूर्ण फल मिलेगा।