Pooja mein Durva : पूजा या किसी शुभ काम के लिए दूर्वा का उपयोग होता है। दूर्वा को सनातन धर्म में बहुत पवित्र माना जाता है। दूर्वा को दूब भी कहा जाता है। भगवान कृष्ण ने स्वयं कहा है कि जो भी भक्त मेरी पूजा में दुर्वा अर्पित करता है मैं उस पर शीघ्र प्रसन्न होता हूं। गणेश भगवान की पूजा में दूब चढ़ाया जाता है। इन्हें हरी दूब बहुत प्रिय है। दूर्वा को मांगलिक कार्यों जैसे की गृह प्रवेश, मुंडन, विवाह, यज्ञ अनुष्ठान इत्यादि में भी चढ़ाया या इससे पूजा की जाती है। जो कि सदियों से चली आ रही प्राचीन परम्पराओं का हिस्सा है।
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दुर्वा का उपयोग केवल शुभ कार्यों में ही नहीं बल्कि औषधीय गुणों के कारण भी होती है।चिकत्सा जगत में आयुर्वेदिक औषधीय के रूप में किया जाता है। दूर्वा के पौधों में फूल भी आते है जो हरे और बैंगनी रंग के होते है। इसमें आने वाले फल जो कि बहुत ही छोटे, दानों के रूप में निकलते है। पौराणिक मान्यता है कि दूर्वा को भगवान चढ़ाने से सभी प्रकार की बुरी शक्तियों का पूरी तरह नाश हो जाता है। इसके साथ साथ चढ़ाने से पहले यह भी ध्यान रखना चाहिए कि यह साफ सुथरे जगह से तोड़ी गई हो।
दूर्वा का पौधा लगाते समय ध्यान रखना चाहिए कि आप इसे किस दिशा में लगा रहे हैं। दूर्वा का पौधा घर के कोने में लगाएं या फिर इसे उत्तर दिशा में लगाएं। इससे घर की आर्थिक स्थिति बेहद मजबूत रहती है।
दूर्वा का पौधा जितना हरा और खिला होगा, घर में खुशहाली भी उतनी ही आती है। इसलिए दूर्वा के पौधे में नियमित रूप से पानी दें और इसे हरा-भरा रखें।
धन प्राप्ति के लिए दूर्वा को घर के ईशान कोण में लगाएं।इसके अलावा आप दूर्वा के पौधे को मंदिर में लगाते हैं, तो ये सबसे अच्छा माना जाता है।