नई दिल्ली। नए संसद भवन (New Parliament Building) के उद्घाटन को लेकर सत्तापक्ष व विपक्ष के बीच विवाद जारी है। विपक्षी दलों की मांग की है कि संसद भवन (Parliament Building) का उद्घाटन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi) नहीं, बल्कि राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू (President Draupadi Murmu) के हाथों हो। इस बीच कांग्रेस, डीएमके, AAP और टीएमसी समेत 19 विपक्षी पार्टियों ने संयुक्त बयान जारी कर संसद भवन (Parliament Building) के उद्घाटन समारोह का बहिष्कार किया है।
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अब कांग्रेस सांसद प्रमोद तिवारी (Congress MP Pramod Tiwari) ने कहा कि जहां लोकसभा और राज्यसभा बैठती है। वहां पर राष्ट्रपति को ही नहीं बुलाया जा रहा है। देश में ये नई परंपरा शुरु हो रही है। राष्ट्रपति का नाम तक कहीं नहीं छपा है। ये राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू (President Draupadi Murmu) जी का अपमान है। प्रधानमंत्री जी आप ये क्या कर रहे हैं।
विपक्षी दलों की ओर से जारी लेटर में कहा गया है कि राष्ट्रपति की ओर से ही संसद बुलाई जाती है। राष्ट्रपति के बिना संसद कार्य नहीं कर सकती है। फिर भी प्रधानमंत्री ने बिना उनको बुलाए संसद के नए भवन के उद्घाटन का फैसला लिया है। यह अशोभनीय और उच्च पद का अपमान है।’ इससे पहले राहुल गांधी और मल्लिकार्जुन खड़गे पहले ही कार्यक्रम का उद्घाटन राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू से करवाने की मांग कर चुके हैं।
उद्घाटन समारोह का बहिष्कार करने वाले दलों में कांग्रेस, आम आदमी पार्टी (AAP), तृणमूल कांग्रेस, द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (DMK),राष्ट्रीय जनता दल (RJD), जनता दल यूनाइटेड (JDU), राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP), समाजवादी पार्टी, उद्धव ठाकरे की शिवसेना गुट, कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया, झारखंड मुक्ति मोर्चा, करेला कांग्रेस मनी, विदुथलाई चिरुथाइगल कच्छी, राष्ट्रीय लोक दल, मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी, नेशनल कॉन्फ्रेंस और रेवॉल्युशनरी सोशलिस्ट पार्टी अन्य मरुमलारची द्रविड मुनेत्रद कड़गम (MDMK) शामिल हैं।
21 मई को राहुल गांधी ने ट्वीट करते हुए लिखा था कि संसद के नए भवन का उद्घाटन राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को ही करना चाहिए, प्रधानमंत्री को नहीं। कांग्रेस ने कहा कि 28 मई को हिंदुत्व विचारक विनायक दामोदर सावरकर की जयंती है। इसी दिन नए संसद भवन का उद्घाटन करना राष्ट्र निर्माताओं का अपमान है।
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टीएमसी सांसद डेरेक ओ ब्रायन ने संसद की नई बिल्डिंग का राष्ट्रपति द्वारा उद्घाटन नहीं करने पर उनका अपमान बताया। उन्होंने कहा कि यह भारत के दलित आदिवासी और वंचित समाज का अपमान है। पीएम मोदी के लिए बिल्डिंग का उद्घाटन सिर्फ उनके लिए है, हमारे लिए नहीं। संसद सिर्फ एक नई इमारत नहीं है बल्कि यह पुरानी परंपराओं, मिसालों, मूल्यों, नियमों और भारतीय लोकतंत्र की नींव है।
आप नेता संजय सिंह ने कहा कि AAP भी उद्घाटन कार्यक्रम का बॉयकाट करेगी, क्योंकि प्रधानमंत्री ने राष्ट्रपति को आमंत्रित नहीं किया।सीपीआई नेता डी राजा ने भी कहा कि उनकी पार्टी उद्घाटन समारोह में शामिल नहीं होगी। CPI (M) ने भी इस समारोह का बहिष्कार करने का ऐलान किया है। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा कि राष्ट्रपति देश की पहली नागरिक हैं और उन्हें उद्घाटन करना चाहिए। उन्होंने कहा कि ऐसा लगता है कि मोदी सरकार सिर्फ चुनावी फायदा उठाने के लिए दलित और आदिवासी समुदाय से राष्ट्रपति बनाती है।
इस मामले पर प्रतिक्रिया देते हुए शिवसेना सांसद संजय राउत ने बुधवार को कहा कि हमारी संसद ऐतिहासिक है। यह अभी सौ साल चल सकती है। इसे बनाने में RSS और भाजपा का कोई हाथ नहीं है। अब नई इमारत बनाकर उसमें शिला लगाई जाएगी कि इसका उद्घाटन प्रधानमंत्री मोदी ने किया है। इसी के लिए इतना खर्चा हो रहा है। चलो ये भी ठीक है। लेकिन राष्ट्रपति जो इस देश की प्रमुख हैं। आदिवासी महिला हैं। पार्लियामेंट की कस्टोडियन हैं। आप उनको नहीं बुला रहे । उनके हाथों से नए संसद भवन का उद्घाटन कराना तो प्रोटोकॉल है, लेकिन आप नहीं कर रहे हैं। क्योंकि आप प्रधानमंत्री के हाथों उद्घाटन करवाकर एक पॉलिटिकल इवेंट कर रहे हैं। इसलिए सभी विपक्षी पार्टियों ने तय किया है कि हम इसका बहिष्कार करेंगे।’