लखनऊ। बेकार कागज को रीसायकल करने के लिए इस समय कागज और कपड़ा उद्योग प्रमुख रूप से कम कर रही है। ये कागज से मिलने वाले फाइबर को इस्तेमाल करते हैं। कागज और कपड़ा इंडस्ट्रीज के अलावा और कोई भी इंडस्ट्री कागज से निकलने वाले फाइबर का इस्तेमाल नहीं कर पा रही है। इसी वजह से भारत में 80% बेकार कागज को रीसायकल नहीं किया जा रहा। बचे हुए बेकार कागज को या तो जला दिया जाता है या फिर कुडे के ढेर में फेंक दिया जाता है। हालांकि, अब इसे फार्मास्युटिकल क्षेत्र में लाने की तैयारी की जा रही है। डॉ. विनीत राय इस पर रिसर्च कर रहे हैं। उनका कहना है कि इससे आने वाले दिनों में बड़ी मदद मिलेगी।
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उन्होंने बताया कि, वेस्ट पेपर सेलूलोज का बहुत ही अच्छा स्रोत है। इसी सेलूलोज़ को निकलने के लिए भारत में जंगल काटे जाते हैं जोकी जलवायु परिवर्तन का बहुत बड़ा कारण बन रहा है। इसी बात को ध्यान में रखते हुए डॉ. राय पेपर वेस्ट को फार्मास्युटिकल इंग्रीडिएंट्स के तौर पे अपयोग करने की सोच रहे हैं। डॉ. राय का प्रोजेक्ट पूरा होने के बाद, इनकी बनी हुई टेक्नोलॉजी/मशीन से वेस्ट पेपर को क्रिस्टल के रूप में रीसायकल किया जाएगा जिस का अपयोग एपीआई इंडस्ट्री कर सकती है।
डॉ. राय ने बताया कि उनका 2019 से 2023 के बीच ये तीसरा प्रोजेक्ट सरकार के द्वारा फंडिंग के लिए मंजूर किया गया है। इन्होने अपने आप को पिछले कुछ वर्ष एक उभरते हुए वैज्ञानिक के रूप में स्थापित किया है। ये लगातर फार्मास्युटिकल रिसर्च में काम कर रहे हैं। पहल भी ये दो बार राष्ट्रीय प्रतियोगिता में प्रतिभागी बनकर बेस्ट इनोवेटिव आइडिया अवार्ड जीत चुके है। भारत सरकार के द्वार संचालित और पंजाब सरकार के द्वारा स्टार्टअप इंडिया पंजाब यात्रा 2019 में इनकी टीम हेल्थकेयर एंड वेलनेस कैटेगरी में प्रथम स्थान पा चुकी है।
गोरखपुर उत्तर प्रदेश के निवाशी, डॉ. विनीत कुमार राय ने बताया कि, टेक्नोलॉजी प्रोजेक्ट को सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम (एमएसएमई), भारत सरकार के द्वारा 28 जून 2023 को फंडिंग की मंजूर मिल गई है। इस परियोजना के अंतर्गत, अपशिष्ट कागज प्रबंधन को बढ़ावा देने के लिए सहयोग मिलेगा। वेस्ट पेपर मैनेजमेंट भारत सरकार के सबसे प्रमुख मुददों में से एक है जो की सिधा स्वच्छ भारत और वेस्ट टू वेल्थ मिशन से जूडा हुआ है।