नई दिल्ली। केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह (Rajnath Singh) ने शुक्रवार को चीन को कड़ा संदेश दिया। उन्होंने कहा कि अगर भारत को छेड़ा तो हम किसी को नहीं बख्शेंगे। यह बात श्री सिंह सैन फ्रांसिस्को में भारतीय वाणिज्य दूतावास (Indian Consulate) के तरफ उनके सम्मान में आयोजित एक स्वागत समारोह में कही। राजनाथ सिंह (Rajnath Singh) ने चीन के साथ सीमा पर भारतीय सैनिकों द्वारा दिखाई गई बहादुरी का भी जिक्र किया।
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उन्होंने कहा कि मैं खुले तौर पर यह नहीं कह सकता कि हमारे सैनिकों ने क्या किया और हमारी सरकार ने क्या फैसले लिए। लेकिन मैं निश्चित रूप से कह सकता हूं कि चीन को एक संदेश गया है कि अगर भारत को नुकसान हुआ तो भारत किसी को नहीं बख्शेगा। रक्षा मंत्री वाशिंगटन डीसी (Washington DC) में भारत यूएस 2+2 मंत्रिस्तरीय बैठक में भाग लेने गए थे। इसके बाद, उन्होंने यूएस इंडो-पैसिफिक कमांड (indopacom) मुख्यालय और फिर सैन फ्रांसिस्को में बैठकों के लिए हवाई की यात्रा की थी।
बताते चलें कि पैंगोंग झील क्षेत्र में हिंसक झड़प के बाद मई 2020 में भारतीय और चीनी सेनाओं के बीच लद्दाख सीमा गतिरोध शुरू हुआ था। 15 जून, 2020 को दोनों सैनिकों के गलवान घाटी में भिड़ने के बाद गतिरोध बढ़ गया, जिसके परिणाम स्वरूप 20 भारतीय सैनिक और एक अज्ञात संख्या में चीनी सैनिक मारे गए।
भारत और चीन ने पूर्वी लद्दाख गतिरोध को हल करने के लिए अब तक 15 दौर की सैन्य वार्ता हुई है, जिसके कारण दोनों पक्षों ने पिछले साल पैंगोंग झील के उत्तरी और दक्षिणी किनारे और गोगरा क्षेत्र में विघटन की प्रक्रिया पूरी की थी।
सैन फ्रांसिस्को में भारतीय-अमेरिकी समुदाय को संबोधित करते हुए राजनाथ सिंह (Rajnath Singh) ने यह भी कहा कि प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi) के तहत भारत एक शक्तिशाली देश के रूप में उभरा है और दुनिया की शीर्ष तीन अर्थव्यवस्थाओं में से एक है। उन्होंने कहा कि भारत की छवि बदल गई है। भारत का मान बढ़ा है। अगले कुछ सालों में दुनिया की कोई ताकत भारत को दुनिया की शीर्ष तीन अर्थव्यवस्था बनने से नहीं रोक सकती।
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अमेरिका को भी संदेश
उन्होंने अमेरिका को यह कहते हुए एक सूक्ष्म संदेश भी भेजा कि नई दिल्ली “जीरो सम गेम” की कूटनीति में विश्वास नहीं करती है। एक देश के साथ उसके संबंध दूसरे की कीमत पर नहीं हो सकते। अगर भारत के एक देश के साथ अच्छे संबंध हैं, तो इसका मतलब यह नहीं है कि किसी अन्य देश के साथ उसके संबंध खराब हो जाएंगे। भारत ने इस तरह की कूटनीति कभी नहीं अपनाई है। भारत इसे (इस तरह की कूटनीति) कभी नहीं अपनाएगा। हम अंतरराष्ट्रीय संबंधों में जीरो-सम गेम में विश्वास नहीं करते हैं।