नई दिल्ली: दिवंगत क्रिकेटर मंसूर अली खान पटौदी (Mansoor Ali Khan Pataudi) ने क्रिकेट के अलावा शर्मिला टैगोर के साथ अपने रिश्ते को लेकर काफी सुर्खियां बटोरीं। हालांकि, उस समय उनके पटौदी पैलेस के भी काफी चर्चे होते थे। बता दें, आज भी ये आलिशान बंगला अपनी खूबसूरती के लिए मशहूर है। मगर इसकी कहानी बेहद अनूठी है।
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दरअसल, इस 81 साल पुराने बंगले का निर्माण 1935 में 8वें नवाब और भारतीय टीम के पूर्व कप्तान इफ्तिखार अली हुसैन सिद्दीकी ने कराया था। इब्राहिम कोठी के नाम से जाने जाते इस बंगले को बाद में मंसूर अली खान पटौदी ने लीज पर दे दिया था। ऐसे में जब मंसूर अली खान का निधन हुआ तब ये कोठी नीमराणा होटल्स के पास किराए पर चली गई थी। इसलिए सैफ अली खान को विरासत में मिलने वाला बंगला उन्हें कड़ी मेहमत और कमाई से वापस खरीदना पड़ा।
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मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, अमन नाथ और फ्रांसिस वैकज़ार्ग इस होटल को चलाने लगे। फिर एक बार सैफ से फ्रांसिस ने पूछा कि क्या वो पैलेस को वापस लेना चाहते हैं। इसके जवाब में जब सैफ ने हां कहा तो फ्रांसिस ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस कर इस बात का ऐलान कर दिया कि वे पैलेस लौटाने को तैयार हैं, लेकिन इसके लिए उन्हें ढेर सारा पैसा देना होगा। ऐसी स्थिति में पटौदी पैलेस वापस पाने के लिए एक्टर ने कई फ़िल्में कीं और खूब पैसा जमा किया। इसके बाद उन्होंने पटौदी पैलेस को खरीद लिया।
आपको बता दें कि गुड़गांव से 26 किलोमीटर दूर पटौदी में मौजूद यह बंगला अब तकरीबन 800 करोड़ रुपए का बताया जाता है। 150 रूम से लैस इस बंगले में किसी समय में 100 से ज्यादा नौकर काम किया करते थे। खास बात ये है कि पटौदी पैलेस और दिल्ली के सबसे नामचीन बाजार कनॉट प्लेस के बीच एक गहरा रिश्ता है। जिन रोबर्ट टोर रसेल ने कनॉट प्लेस को डिजाइन किया था। ये वहीं हैं जिन्होंने पटौदी पैलेस का भी डिजाइन तैयार किया था।