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वाटर ट्रीटमेंट प्लांट में घोटालाः मेरठ से लेकर लखनऊ तक अफसरों को दिए गए रुपये, वायरल हुआ ऑडियो

By मुनेंद्र शर्मा 
Updated Date

मेरठ। दिवालिया फर्म प्रतिभा इंडस्ट्रीज लिमिटेड ने जल निगम और नगर निगम के अफसरों की मिलीभगत से करोड़ों रुपयों का फर्जीवाड़ा किया। ये फर्जीवाड़ा मेरठ के भोला की झाल स्थित बन रहे 100 एमएलडी वाटर ट्रीटमेंट प्लांट के निर्माण के दौरान किया गया। वहीं, अब इस फर्जीवाड़े का मामला शासन तक पहुंच गया है। हालांकि, पूरे फर्जीवाड़े में संलिप्त अफसरों पर मेहरबानी जारी है, जिसके कारण उन पर कोई कार्रवाई नहीं हो रही है। वहीं, ईमानदार अधिशासी अभियंता अमित कुमार को फर्जीवाड़े का विरोध करना महंगा पड़ा था, जिसके कारण उनका तबादला करा दिया गया। इस बीच करोड़ों रुपये के हुए घोटाले का एक ऑडियो वायरल हो रहा है।

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इस वायरल ऑडियो में बताया जा रहा है कि घोटाले को लेकर मेरठ से लखनऊ तक के अफसरों को कैसे मैनेज किया गया है। इसके साथ ही अभियंता के तबादला करवाने के लिए भी रुपये देने की बात कही जा रही है। इस वायरल ऑडियो में बताया गया है कि दिवालिया फर्म प्रतिभा इंडस्ट्री को किस तरह से जल निगम और नगर निगम के अफसरों की मदद से लाभ पहुंचाया गया। पर्दाफाश को मिले ऑडियो में कहा गया है कि वाटर ट्रीटमेंट प्लांट के लिए लाई गई गई मशीनरी को भी अफसरों की मिलीभगत से बेच दिया गया है।

इस ऑडियो में वाटर ट्रीटमेंट प्लांट में प्रतिभा इंडस्ट्री को फायदा पहुंचाने के लिए अफसरों ने किस तरह से खेल किया ये भी बताया गया है। बता दें कि, पूरा मामला मेरठ में बन रहे वाटर ट्रीटमेंट प्लांट से जुड़ा है, जहां जल निगम और नगर निगम के अधिकारियों ने दिवालिया कंपनी पर अपनी मेहरबानी जारी रखी। लिहाजा, सरकारी खाजने से करोड़ों रुपये दिवालिया कंपनी पर लूटा दिए गए। जब जल निगम के अधिशासी अभियंता अमित कुमार ने इसका विरोध किया तो उनको इसका खामियाजा भी भुगतना पड़ा।

दिवालिया कंपनी पर लुटाया सरकारी खजाना
जल निगम और नगर निगम अधिकारियों की कमाई का जरिया बने 100 एमएलडी बाटर ट्रीटमेंट प्लांट में घोटाला उजागर हुआ। दरअसल, करीब दो साल पहले दिवालिया हो चुकी फर्म प्रतिभा इंडस्ट्रीज लिमिटेड ने जालसाजी कर टीएल इंफ्रा के नाम से काम शुरू कर दिया। अफसरों की मेहरबानी से दिवालिया कंपनी को विभाग लाखों करोड़ों रुपये देता रहा। जल निगम के अधिशासी अभियन्ता अमित कुमार को जब इसका पता लगा तो उन्होंने विरोध किया। अधिशासी अभियंता की ये बात भ्रष्ट अफसरों को रास नहीं आई, जिसके कारण अधिकारियों की सांठगांठ से उनका तबादला करा दिया गया। बता दें कि, 400 करोड़ की मेरठ पेयजल योजना का बंदरबांट में बुरा हाल है। भोला झाल पर 100 एमएलडी वाटर ट्रीटमेंट प्लांट पूरी क्षमता से चले बैर ही जर्जर अवस्था में पहुंच गया है।

अनुबंध में टीएल इंफ्रा का कहीं भी जिक्र नहीं
नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल को मुंबई खंडपीठ ने प्रतिभा इंडस्ट्रीज को फरवरी, 2019 में दिवालिया घोषित कर दिया था। फर्म प्रबंधन और जल निगम ने इसकी जानकारी नगर निगम को नहीं दी और फर्म ने जालसाजी कर पुरानी तिथि अप्रैल, 2018 में टीएल इंफ्रा फर्म का गठन दिखाकर प्लांट संचालन और रखरखाव का कार्य इसे हस्तांतरित कर दिया। नगर निगम व प्रतिभा इंडस्ट्रीज के बीच हुए अनुबंध में टीएल इंफ्रा का जिक्र नहीं है। पत्र के अनुसार पिछले 30 माह से टीएल इंफ्रा के खाते में पैसा जा रहा है और कागजों में प्रतिभा इंडस्ट्रीज दिखाई जा रही है।

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