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School Open : एम्स डायरेक्टर डॉ. रणदीप गुलेरिया बोले- बच्चों के विकास के लिए स्कूल खुलना जरूरी

By संतोष सिंह 
Updated Date

नई दिल्ली। देश में कोरोना महामारी (Corona Pandemic) एक बार फिर तेजी से पांव पसार रही है। इसके बाद तीसरी लहर आने की आशंका तेज हो गई है। इसी बीच राष्ट्रीय राजधानी सहित देश के कई राज्यों में 1 सितंबर से बच्चों के लिए स्कूल खुल (School Open) गए हैं, लेकिन बच्चों के लिए देश में अभी तक टीका उपलब्ध नहीं है।

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सरकार के इस फैसले ने विशेषज्ञों, छात्रों, शिक्षकों और अभिभावकों के बीच बड़ी बहस को जन्म दे दिया है। बिना वैक्सीनेट(without vaccine)  बच्चे स्कूल कैसे जा सकते हैं? इस पर सवाल खड़ा किया जा रहा है। इस सबके बीच एम्स के डायरेक्टर डॉ. रणदीप गुलेरिया (AIIMS Director Dr. Randeep Guleria) ने कहा कि भारत में सभी बच्चों को टीकाकरण करने में नौ महीने तक का समय लगेगा। ऐसे में लंबे समय तक बच्चों के भविष्य के साथ खिलवाड़ नहीं किया जा सकता है।  बच्चों के विकास (Development of Children) के लिए स्कूल खुलना जरूरी है। क्योंकि बच्चों के लिए शारीरिक संपर्क अहम है।

स्कूलों को खोलने पर डॉ.रणदीप गुलेरिया (Dr. Randeep Guleria)ने कहा कि उन जगहों पर स्कूल खुल सकते हैं। जहां पर कोरोना के मामले कम हैं। एम्स डायरेक्टर गुलेरिया ने बताया कि सभी बच्चों के पास ऑनलाइन पढ़ने की सुविधा नहीं होती और न ही वह माहौल रहता है। ऐसे में स्कूल खोलना जरूरी (Need to Open School) है। उन्होंने कहा कि करीब-कीरब स्कूलों में सभी टीचरों को वैक्सीन लग चुकी है, वहां की हालत सबसे ज्यादा अनुकूल है। उन्होंने तमाम टीचर, स्टाफ से अपील की है कि वे खुद आगे आकर टीका लगवाएं । डॉ. गुलेरिया ने स्कूल प्रशासन से लंच ब्रेक और अन्य किसी भी समय भीड़ नहीं जुटने देने की अपील की। उन्होंने कहा कि इसका हमें पूरा ख्याल रखना होगा कि बच्चे सोशल डिस्टेंसिंग का पालन कर रहे हैं या नहीं।

देश में तीसरी लहर से निपटने की तैयारी जोरों पर

वहीं, कोरोना महामारी की तीसरी लहर के दौरान बच्चों को चपेट में आने पर  डॉ. गुलेरिया ने कहा है कि कोरोना के मद्देनजर बच्चों के वॉर्ड बनाने और अन्य मेडिकल उपकरणों की व्यवस्था की जा रही है। इसके लिए हर जिले में तैयारी जोरों पर है। बता दें कि इससे पहले मेदांता अस्पताल के चेयरमैन डॉ़. नरेश त्रेहान (Chairman of Medanta Hospital Dr. Naresh Trehan) ने कहा था कि कोरोना से अगर बच्चे बीमार पड़े तो हमारे अस्पताल उन्हें संभाल नहीं पाएंगे, क्योंकि हमारे पास अभी तक उतनी सुविधा नहीं है।

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