Shankh astrology : सनातन धर्म में शंख अजेय है। शंख की ध्वनि विकारों को दूर करती है और सकारात्मकता की ओर अग्रसर करती है। हिंदू धर्म में शंख को बहुत पवित्र स्थान प्राप्त है। धार्मिक अनुष्ठान और कर्मकांड शंख ध्वनि का गूंज से वातावरण गुंजायमान हो जाता है। श्री विष्णु अपने एक हाथ में ‘पंच-जन्य’ नामक शंख धारण करते हैं। ‘पांचजन्य’ एक संस्कृत शब्द है जिसका व्यापक अर्थ है ‘पांचों के मिलन से पैदा हुआ’। सभी देवी-देवताओं, रामायण, महाभारत आदि के प्रमुख योद्धाओं के अपने-अपने शंख हैं, जिनमें से प्रत्येक का अपना विशिष्ट नाम है।
पढ़ें :- Utpanna Ekadashi 2024 : उत्पन्ना एकादशी का व्रत करने से सीधे बैकुंठ धाम में स्थान मिलता है, इस शुभ योग में मनाई जाएगी
दक्षिणावर्ती शंख को लक्ष्मी स्वरूप कहा जाता है, लक्ष्मी जी की आराधना में अनिवार्य माना जाता है। मानी जाती। समुद्र मंथन के दौरान 14 रत्नों में से ये एक रत्न है। सुख- सौभाग्य की वृद्धि के लिए इसे अपने घर में स्थापित किया जाता है।
1.शंख बजाने से फेफड़े पुष्ट होते है।
2.शंख में पानी रखकर पीने से मनोरोगी को लाभ होता है उत्तेजना कम होती है।
3.शंख की ध्वनि से दिमाग व स्नायु तंत्र सक्रिय रहता है।
4.शंख में दूध भर कर रुद्राभिषेक करने से समस्त पापों का नाश होता है।
5.घर में शंख बजाने से नकारात्मक ऊर्जा व अतृप्त आत्माओं का वास नहीं होता है।
6.शंख सफ़ेद कपड़े में रखने से शुक्र ग्रह बलवान होता है।