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मध्य प्रदेश में नेतृत्व परिवर्तन की अटकलें तेज, शिवराज, सिंधिया व कैलाश विजयवर्गीय केंद्र में बनाए जा सकते हैं मंत्री!

By संतोष सिंह 
Updated Date

भोपाल। मध्य प्रदेश के सत्ता के गलियारों में इस नेतृत्व परिवर्तन खबरें तेजी से चल रही हैं। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार भारतीय जनता पार्टी का शीर्ष नेतृत्व प्रदेश में मुखिया बदलने का मन बना चुकी है। इस योजना के तहत शिवराज सिंह चौहान, ज्योतिरादित्य सिंधिया व कैलाश विजयवर्गीय को केंद्र में मंत्रीय बनाया जा सकता है। सूत्रों के हवाले से खबर प्रहलाद पटेल प्रदेश अध्यक्ष की जिम्मेदारी सौंपी जा सकती है।

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बता दें कि  दमोह उपचुनाव में मिली हार के बाद सरकार को भारी पड़ सकता है। पार्टी इसे लेकर भी लगातार समीक्षा कर रही है। कांग्रेस नेताओं ने इसे लेकर भी नेतृत्व परिवर्तन की हवा बनाकर जोड़ने में कसर नहीं छोड़ी। कांग्रेस ने इसको लेकर कहा है कि बीजेपी में घमासान मचा है। बीजेपी में कई नेताओं को मुख्यमंत्री बनना है। प्रदेश में कोरोना महामारी का कहर फैला हुआ है, लेकिन बीजेपी के कई नेताओं पर इस दौर में भी मुख्यमंत्री बनने की महत्वाकांक्षा ज़्यादा भारी है।

प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान से लेकर तमाम मुद्दों पर मैसेज चल रहे हैं, लेकिन फेक मैसेज को लेकर अब तक कोई कार्रवाई नहीं की गई। जबकि गृह मंत्री नरोत्तम मिश्र खुद कह चुके हैं कि मैसेज फेक हैं, लेकिन उन्होंने भी किसी तरह की कार्रवाई की बात नहीं की है।

बता दें कि जिस तरह से एक सप्ताह की सियासी बैठकें हुई हैं। उसको लेकर सीएम शिवराज सिंह चौहान के समर्थकों की भी धड़कनें बढ़ गई थीं। इन बैठकों के कारण सोशल मीडिया पर अटकलें इतनी बढ़ गईं कि अंतत: पार्टी को सफाई देना पड़ी। हालांकि, पार्टी ने अभी भी यह साफ नहीं किया है कि विजयवर्गीय, नरोत्तम, वीडी, सारंग जैसे भाजपा नेताओं की आपसी बैठकें अचानक किस सिलसिले में हुईं थीं?

राजनीतिक विश्लेषकों की मानें कि नेतृत्व परिवर्तन की हवा व अफवाह को इतना तेज करने में भी बीजेपी नेता ही जिम्मेदार हैं। मामला बढ़ता रहा और पार्टी चुप रही। कैलाश विजयवर्गीय फिर से प्रदेश में सक्रिय दिखाई देने लगे हैं। उन्हें क्या जिम्मेदारी मिलेगी, यह साफ नहीं है। उन्हें खंडवा से उपचुनाव लड़ाकर केंद्र भेजकर मंत्री बनाने तक की अटकले चल रही हैं।

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ज्योतिरादित्य सिंधिया को राज्यसभा सदस्य बनने के बाद अब तक केंद्रीय मंत्री पद के इंतजार में हैं। चूंकि सरकार में उनके समर्थक विधायक अच्छी संख्या में हैं। ऐसे में गुप्त बैठकों के बाद उनका अचानक 9 जून को एमपी आने का कार्यक्रम बनने की खबर ने ऊपर वाले मुद्दे को और हवा दे दी। लोगों ने इसे भी सियासी परिवर्तन से जोड़ना शुरू कर दिया है।

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