आगरा। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जीरो टॉलरेंस की नीति पर काम करने के लिए अफसरों को निर्देश दे रहे हैं। लेकिन उनका ये निर्देश आगरा के भूमाफिया ओपी चेन्स के मालिक शोभिक गोयल पर नहीं लागू होता है। अफसरों की मिलीभगत से वो मनमाने तरीके से जमीनों पर कब्जा करना और सरकारी राजस्व को नुकसान पहुंचाने का काम कर रहा है। अब उसने अपने भारत नगर हाउसिंग की पार्टनरशिप डीड में बड़ा फर्जीवाड़ा कर दिया है। पार्टनर हीरादेवी की मृत्यू के बाद वो छलपूर्वक अपने पिता अशोक कुमार गोयल का नाम डलवा दिया। पीड़ित सतीश कुमार गोयल ने इसकी शिकायत पुलिस से की, जिसके बाद मुकदमा दर्ज हो सका। हालांकि, इस मुकदमें में अभी तक जालसाज शोभिक गोयल पर कोई कार्रवाई नहीं हो सकी।
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सतीश कुमार गोयल ने इस मामले में अपने शोभिक गोयल और अशोक कुमार गोयल के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई है। उनका आरोप है कि, धोखाधड़ी करते हुए भारत नगर हाउसिंग की पार्टनरशिप डीड में पार्टनर मेरी मृत माता हीरा देवी की जगह आरोपी शोभिक गोयल ने छलपूर्वक अपने पिता अशोक कुमार गोयल का नाम डलवा दिया, जो मेरे विधिक अधिकार एवं पैतृक सम्पत्ति से मुझे वंचित कराकर सदोष हानि कारित करना है।
सतीश कुमार गोयल ने बताया कि, 02.07.2013 को भारत नगर हाउसिंग (पेन नं AAMFB9466D) इसकी पार्टनरशिप डीड बनाई गयी, जिसमें हीरा देवी पत्नी श्री कैलाश चन्द, मून गोयल पुत्र श्री ओमप्रकाश गोयल और शोभिक गोयल पुत्र श्री अशोक कुमार गोयल पार्टनर बनाये गये। उनका कहना है कि, इसमें संयुक्त रूप से यह निर्णय हुआ था कि मेरी यानि सतीश कुमार गोयल की जगह मेरी माता हीरा देवी का नाम डाल दिया जाए जिसमें मुझे कोई आपत्ति नहीं थी क्योंकि वह मेरी तरफ से मेरे हिस्से का प्रतिनिधित्व कर रहीं थीं।
इन सबके बीच हीरा देवी की मृत्यु दिनांक 01.05.2021 को हो गई, जिसके बाद आरोपी शोभिक गोयल ने धोखाधड़ी करते हुए दिनांक 18.05.2021 को भारत नगर हाउसिंग की पार्टनरशिप डीड बदल दी और हीरा देवी की जगह छलपूर्वक उसने अपने पिता अशोक कुमार गोयल का नाम डलवा दिया। यही नहीं, यह बदली हुई पार्टनरशिप डीड दोनों अभियुक्तों ने भारत नगर हाउसिंग के बैंक अकाउंट में भी इस्तेमाल की है। जब उक्त घटना के बारे में सतीश कुमार गोयल को जानकारी हुई तो उसने अशोक कुमार गोयल व शोभिक गोयल से अपनी माता की जगह अपना नाम डलवाने की गुजारिश की। इस पर उन्होंने कुछ दिन रुकने का आश्वासन दिया।
हालांकि, आरोपी काफी दिनों तक पीड़ित सतीश कुमार गोयल को झूठा आश्वासन देते रहे। काफी समय बीतने के बाद जब सतीश ने उनसे फिर कहा तो शोभिक गोयल और अशोक गोयल उसे धमाकते हुए जान से मारने की धमकी देने लगे। पीड़ित का कहना है कि, आरोपियों ने उसे और उसके बच्चे को जान से मरवाने की धमकी दिए हैं। अगर उसका कुछ होता है तो इसके जिम्मेदार शोभिक गोयल और अशोक गोयल होंगे।
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शोभिक गोयल ने दर्ज कराया मुकदमा
यही नहीं, सतीश गोयल ने शोभिक गोयल के करतूतों की पोल खोली तो वो इससे बचने के लिए कई तरीके आजमाता रहा। इसके बाद 2.05.25 को उसने मून गोयल, सतीश गोयल और सीमा गोयल के खिलाफ एफआईआर दर्ज करा दी। इसमें उसने धोखाधड़ी समेत कई अन्य आरोप लगाए हैं। हालांकि, ये एफआईआर उसने सतीश गोयल के दर्ज कराने के बाद की है।
रुपयों के विवाद के बाद हुए अलग
शोभिक गोयल, मून गोयल औ सतीश गोयल पहले आवास विकास के अधिकारियों की मदद से अरबों की जमीन को कौड़ियों में खरीद लिया। कुछ दिनों तक इनके बीच सब सही चलता रहा लेकिन अब रुपयों के विवाद में ये सब अलग हो गए और एक दूसरे पर गंभीर आरोप लगाने लगे। साथ ही अब एक दूसरे पर मुकदमा भी करा रहे हैं।
कोर्ट के स्टे के बाद भी शोभिक गोयल का कब्जा
शोभिक गोयल कोर्ट के स्टे को भी नहीं मानता है। वो पुलिस और प्रशासन की मिलीभगत से बड़ा खेल करता है। खसरा सं 713, 714 में आगरा न्यायालय में 592/1998, हाल 7th ADJ के यहां 440/2023 में यथास्थिति का स्टे है। इसके बाद भी इस जमीन पर शोभिक गोयल का कब्जा बना हुआ है और इस जमीन को वो बेच भी सकता है।
अरबों की जमीन पर कब्जा
बता दें कि, सिकंदरा योजना में सेक्टर 12 और 15 में एंथम एंथेला की भूमि नीलामी घोटाला प्रकरण लगातार सुर्खियों में रहा है। उत्तर प्रदेश शासन से लेकर आगरा प्रशासन तक के प्रमुख अधिकारियों को अरबों के इस जमीन घोटाले की जानकारी है। बावजूद इसके इस घोटले के आरोपी भारत नगर हाउसिंग जो कि ओपी चैन्स ग्रुप की कंपनी है, उसके मालिक शोभिक गोयल को बचाया जा रहा है। कई बार हुई जांच में ये साफ हो चुका है कि भारत नगर हाउसिंग के मालिक ने धोखाधड़ी कर अरबों की जमीन पर कब्जा किया है। बावजूद इसके खिलाफ कार्रवाई नहीं हो पा रही है।
शोभिक गोयल ने हर कदम पर किया खेल
ओपी चेन्स का मालिक शोभिक गोयल हर कदम पर खेल करता गया है। वो पार्टनरशिप डीड में धोखाधड़ी के साथ ही जमीन को कब्जा करने में भी बड़ा खेल किया है। शासन की ओर से इस पूरे मामले को लेकर जांच बिठाई गई लेकिन अभी तक इस पर कोई कार्रवाई नहीं हो सकी। आइए हम आपको कई अहम बिंदुओं के जरिए समझाते हैं कि आखिर कैसे शोभिक गोयल ने खेल किया है…
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1- नीलामी की शर्त के अनुसार किसानों एवं अवरोध उत्पन्न करने वालों की समिति से बोलीदाता/बिल्डर्स को समझौते के माध्यम से कब्जा प्राप्त करना था किंतु कोई समझौता नहीं हुआ जिससे नीलामी की शर्तों का उल्लंघन हुआ है।
2- भूमि पर भौतिक कब्जा (बोलीदाता/समिति का) नीलामी से पहले 27 नवंबर 2016 को हो चुका था बाउंड्री वॉल बन चुकी थी नीलामी मात्र औपचारिकता थी।
3- इतनी अधिक मूल्य की बेशकीमती भूमि की नीलामी ई टेंडरिंग (पारदर्शी) प्रक्रिया से ना कराकर मात्र दो समाचार पत्रों में नोटिस छपवाकर निविदा की गई।
4- नीलामी से पूर्व से अवैध कब्जेदार/अवरोधक समिति/बिल्डर ओपी चौन ग्रुप के ही दो कंपनियों ने भाग लिया।
5- तत्कालीन परिषद अधिकारियों द्वारा भूमि मूल्य की गणना परिषद नियमों के विरुद्ध गलत फार्मूले के आधार पर की गई। भूमि की तत्समय में बाजार दर 40000 प्रति वर्ग मीटर थी। सर्किल दर 14000 प्रति वर्ग मीटर थी किंतु मात्र 11000 प्रति वर्ग मीटर की दर पर नीलामी कर दी गई। भूमि मूल्य की गणना केवल आवासीय दर पर की गई जबकि संपूर्ण भूमि का 20ः व्यावसायिक भी था जिसका घाटा परिषद को हुआ।
6- नीलामी के तहत मात्र रुपये 166.01 करोड़ की रकम के भुगतान में भी बिल्डर को सहूलियत दी गई। नीलामी प्रपत्र के समय 30ः एक बार जमा कराया गया फिर 15ः 25 तिमाही किस्तों में जमा करने की छूट दी गई।
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7- भूमि पर परिषद द्वारा भौतिक कब्जा लेने हेतु जिला प्रशासन के सहयोग से मात्र एक बार दिनांक 23 दिसंबर 2010 को असफल प्रयास किया गया। परिषद के अधिकारियों के द्वारा उक्त भूमि पर भौतिक कब्जा प्राप्त करने हेतु जिला प्रशासन से पूर्ण सहयोग लेने के लिए कभी भी कोई सकारात्मक/प्रभावी प्रयास/कार्रवाई नहीं की गई। (यह तथ्य मंडलायुक्त की जांच में भी उल्लेखित हैं) भूमि पर भौतिक कब्जा लेने हेतु शिथिलता बरतने वाले परिषद के तत्कालीन क्षेत्रीय अधिकारी/जनपदीय प्रशासन/पुलिस अधिकारियों की भूमिका की जांच हो।
8- भूमि अधिग्रहण 1970 में हुआ जबकि समिति रजिस्टर्ड 1971 में हुई। समिति ने भूमि अर्जन को कोर्ट में चुनौती दी किंतु परिषद द्वारा समिति की वैधता को कोर्ट में चुनौती नहीं दी।
9- नीलाम की गई भूमि में कई किसानों ने मुआवजा नहीं लिया था। खतौनी पर उन कृषकों का ही नाम था तथा उनका मुकदमा न्यायालय में चल रहा था।
10- कुल 36 एकड़ भूमि में से विवाद (जो कोर्ट में चल रहे थे) मात्र 10 एकड़ भूमि में था। अतएव शेष 26 एकड़ भूमि पर परिषद भौतिक कब्जा ले सकता था किंतु ऐसा नहीं किया गया।
11- स्थानीय अदालतों ने समिति के सभी दावों को वर्ष 2010, 2012, 2014 में खारिज करके भूमि पर परिषद को कब्जा लेने के निर्देश दिए गए थे किंतु परिषद द्वारा स्थानीय प्रशासन के सहयोग से भूमि कब्जा लेने का कोई ठोस/प्रभावी प्रयास नहीं किया गया।
12- वर्ष 2015 में शोभित गोयल का भारत नगर सहकारी आवास समिति का सचिव बनने एवं हटाए जाने के विवाद की जांच, क्योंकि प्रकरण में मुख्य बोलीदाता शोभिक गोयल ही थे।
13- उत्तर प्रदेश आवास एवं विकास परिषद मुख्यालय लखनऊ के तत्कालीन अधिकारीगण (राम प्रकाश तत्कालीन अपर आवास आयुक्त/उप निबंधक, रूद्र प्रताप सिंह तत्कालीन आवास आयुक्त) आदि की भूमिका की जांच हो।