Advertisement
  1. हिन्दी समाचार
  2. उत्तर प्रदेश
  3. यूपी के 5000 सरकारी स्कूलों के मर्जर के खिलाफ दायर याचिका पर कोर्ट ‘सुप्रीम सुनवाई’ को तैयार

यूपी के 5000 सरकारी स्कूलों के मर्जर के खिलाफ दायर याचिका पर कोर्ट ‘सुप्रीम सुनवाई’ को तैयार

By संतोष सिंह 
Updated Date

लखनऊ। उत्तर प्रदेश के पांच हजार प्राथमिक सरकारी स्कूलों के निकटवर्ती स्कूलों में विलय के मामले में दाखिल याचिका पर सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) सुनवाई को तैयार हो गया है। यह याचिका तैय्यब खान सलमानी की ओर से दायर की गई है।  याचिकाकर्ता की ओर से पेश वकील प्रदीप यादव ने जस्टिस सूर्यकांत की अध्यक्षता वाली पीठ के समक्ष मेंशन कर जल्द सुनवाई की मांग की।  जिस पर कोर्ट ने सुनवाई का भरोसा दिया। 

पढ़ें :- टीम इंडिया को आईसीसी ने सुनाई बड़ी सजा, दूसरे वनडे में हुई थी गलती

वकील प्रदीप कुमार यादव ने सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में इलाहाबाद हाईकोर्ट (Allahabad High Court) के फैसले को चुनौती दी है। उत्तर प्रदेश में 5 हजार सरकारी स्कूलों को बंद करने के खिलाफ याचिका सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में याचिका दाखिल की गई।याचिका में कहा गया कि 3 लाख 50 हज़ार से ज़्यादा छात्रों को महंगे प्राइवेट स्कूलों में दाखिला लेने के लिए मजबूर होना पड़ेगा।

हालांकि इसे सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने सरकार का नीतिगत फैसला कहा लेकिन सुनवाई को तैयार हो गया है। इसके अलावा उन स्कूलों को भी साथ मर्ज कर दिया जाएगा अगर किसी स्कूल के रास्ते में नदी, हाईवे, रेलवे ट्रैक, नाला आदि पड़ता है। कहा जा रहा है कि अकेले राजधानी लखनऊ में ही 445 प्राइमरी और अपर प्राइमरी स्कूलों का विलय होना है।

सरकारी आंकड़े के मुताबिक पिछले 10 सालों की बात करें तो 2014-15 से 2023-24 तक के सरकारी स्कूलों की संख्या में 8% की कमी आई है। जबकि निजी स्कूलों की बात करें तो उनमें 14.9% की बढ़ोतरी देखी गई है।

दायर याचिका में इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले को दी गई चुनौती

दायर याचिका में इलाहाबाद हाईकोर्ट (Allahabad High Court)  के फैसले को चुनौती दी गई है। हाई कोर्ट ने सीतापुर के 51 बच्चों की याचिका को खारिज करते हुए मर्जर को हरी झंडी दे दिया है। सीतापुर के 51 बच्चों ने सरकार की स्कूल मर्ज नीति के खिलाफ दायर की है। हाई कोर्ट ने सरकार के फैसले को सही ठहराया था। कोर्ट ने अपने फैसले में साफ कहा कि सरकार के नीतिगत फैसलों में हस्तक्षेप नहीं करेंगे।

पढ़ें :- Stock Market Crash : शेयर मार्केट में आए भूचाल से सेंसेक्स 800 अंक टूटा और निफ्टी ने मारी डबल सेंचुरी, डिफेंस के शेयरों ने लगाया गोता...

बच्चों के हित में है यह फैसला : इलाहाबाद हाईकोर्ट

कोर्ट ने कहा कि यह फैसला बच्चों के हित में है। ऐसे मामलों में नीतिगत फैसले को चुनौती नहीं दी जा सकती, जब तक कि वह असंवैधानिक या दुर्भाग्यपूर्ण न हो। दायर याचिका में बेसिक शिक्षा विभाग द्वारा 16 जून को जारी उस आदेश को चुनौती दी गई थी, जिसमें कम छात्र संख्या वाले प्राइमरी स्कूलों को उच्च प्राथमिकी या कंपोजिट स्कूलों में मर्ज करने की बात कही गई थी।

शिक्षा के अधिकार कानून का उल्लंघन बताते हुए आदेश को रद्द करने की मांग

दायर याचिका में इसे शिक्षा के अधिकार कानून का उल्लंघन बताते हुए आदेश को रद्द करने की मांग की गई है। बता दें कि उत्तर प्रदेश सरकार ने फैसला किया है कि प्रदेश में 50 से कम छात्रों वाले प्राथमिक और उच्च प्राथमिक स्कूलों को आसपास के बड़े स्कूलों में मर्ज किया जाएगा। इस फैसले से पूरे राज्य में करीब 5000 से ज्यादा स्कूल प्रभावित होंगे।

सरकार के फैसले का शिक्षक संगठनों ने किया विरोध

सरकार के इस फैसले के बाद शिक्षक संगठनों ने भी इसका विरोध शुरू कर दिया है। वहीं सरकार की दलील है कि मर्ज करने से बच्चों को बेहतर सुविधाएं मिल सकेंगी और संसाधनों का बेहतर उपयोग होगा। यदि किसी स्कूल के रास्ते में नाला, नदी या रेल पटरी जैसी बाधाएं हैं, तो उसे भी मर्ज किए जाएगा।

पढ़ें :- टी20 वर्ल्ड कप 2026 से पहले मुश्किल में आईसीसी! JioHotstar मीडिया राइट्स डील से पीछे हटा, अब कोई नहीं दिखा रहा दिलचस्पी

 

Advertisement