नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) के न्यायाधीश संजीव खन्ना (Judge Sanjeev Khanna) ने सोमवार को कहा कि वकीलों के पास बहुत सारे अवसर हैं। उन्हें इनका लाभ उठाने के लिए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI), आनुपातिकता और डेटा विश्लेषण (Proportionality and Data Analysis) का अध्ययन करना चाहिए। औरंगाबाद राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय (Aurangabad National Law University) के तीसरे दीक्षांत समारोह (Third Convocation) को संबोधित करते हुए न्यायाधीश खन्ना ने कहा कि देश भर की अदालतों में 5.5 करोड़ मामले लंबित हैं। इनमें सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में 83 हजार मामले शामिल हैं।
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उन्होंने कहा कि देश में 1700 कानूनी कॉलेज हैं। हर साल लगभग एक लाख अधिवक्ता इनमें दाखिला लेते हैं। बार काउंसिल में करीब 15 लाख अधिवक्ता नामांकित हैं। अधिवक्ताओं को न केवल इन मामलों पर बहस करनी होती है, बल्कि अदालतों में न्यायाधीशों और न्यायाधिकरणों के सदस्यों के रूप में भी काम करना पड़ता है। इसलिए, आपके लिए बहुत बड़ा अवसर इंतजार कर रहा है।
‘कानून को अलग-थलग करके नहीं समझा जा सकता’
उन्होंने आगे कहा कि प्रौद्योगिकी और कृत्रिम बुद्धिमत्ता, डेटा निर्माण और डेटा विश्लेषण, आनुपातिकता जैसे उभरते क्षेत्र विधायी और कार्यकारी नीति के साथ-साथ न्यायिक निर्धारण के लिए भी महत्वपूर्ण हैं। कानून को अलग-थलग करके नहीं समझा जा सकता और इसके लिए अंत में विषय अध्ययन की आवश्यकता होगी।’
कानूनी पेशा कोई व्यवसाय नहीं …
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न्यायाधीश संजीव खन्ना (Judge Sanjeev Khanna) ने कहा कि कानूनी पेशा कोई व्यवसाय नहीं है, बल्कि यह ईमानदारी, दृढ़ता और जिम्मेदारी की गहरी भावना की मांग करता है। इसका मुख्य उद्देश्य नैतिकता, सम्मान और गरिमा बनाए रखना है। उन्होंने यह भी कहा कि विधायिका का सदस्य बनने के लिए निर्वाचित होने की आवश्यकता होती है, जिसमें वर्षों की मेहनत की आवश्यकता होती है, जबकि नौकरशाही में शामिल होने के लिए बहुत कठिन प्रतियोगी परीक्षाओं को पास करना होता है।
उन्होंने आगे कहा कि ‘वकील के रूप में आप तुरंत ही तीसरे पक्ष यानी न्यायपालिका का हिस्सा बन जाते हैं, जो महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है, क्योंकि यहीं पर कार्यपालिका और कानूनी कार्रवाइयों को चुनौती दी जाती है।’
देश की करीब 80 प्रतिशत आबादी कानूनी सहायता पाने की पात्र
न्यायमूर्ति खन्ना ने मध्यस्थता और कानूनी सहायता के महत्व पर भी जोर दिया। उन्होंने कहा कि देश की करीब 80 प्रतिशत आबादी कानूनी सहायता पाने की पात्र है। युवा अधिवक्ता कानूनी सहायता का अभिन्न अंग हो सकते हैं। एक राष्ट्रीय कानूनी सहायता हेल्पलाइन नंबर है और फोन कॉल का जवाब देने के लिए वकीलों को लगाया जा रहा है।
सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) के न्यायाधीश ने कहा कि भारत में करीब 1.4 करोड़ लोग गिरफ्तार होते हैं जिनमें से 62 प्रतिशत गिरफ्तारियां दंड प्रक्रिया संहिता (CRPC) के प्रावधानों के तहत होती हैं। इस कार्यक्रम में सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) के जज और यूनिवर्सिटी के चांसलर अभय ओका, जस्टिस यूबी भुइयां और वाइस चांसलर ए लक्ष्मीकांत भी शामिल हुए। दीक्षांत समारोह (Convocation) में विद्यार्थियों को एलएलबी, एलएलएम की डिग्री प्रदान की गई।