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कावेरी जल प्राधिकरण के आदेश में हस्तक्षेप से सुप्रीम कोर्ट ने किया इनकार, कर्नाटक को बड़ा झटका

By संतोष सिंह 
Updated Date

नई दिल्ली। कावेरी जल प्रबंधन प्राधिकरण (Cauvery Water Management Authority) के आदेश में गुरुवार को हस्तक्षेप करने से सुप्रीम कोर्ट ने इनकार कर दिया है। बता दें कि आदेश के तहत कावेरी जल प्रबंधन प्राधिकरण (Cauvery Water Management Authority) ने कर्नाटक को आदेश दिया था कि वह तमिलनाडु (Tamil Nadu) को 5000 क्युसेक पानी जारी करे। प्राधिकरण ने 18 सितंबर को यह आदेश दिया था और आदेश के तहत कर्नाटक को 28 सितंबर तक तमिलनाडु (Tamil Nadu) को पानी देना था।

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हालांकि सूखे जैसी स्थिति का सामना कर रहे कर्नाटक ने इस आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court)  में अपील की थी, जहां से अब कर्नाटक सरकार (Karnataka Government) को झटका लगा है। बता दें कि सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने प्राधिकरण के आदेश में कोई भी हस्तक्षेप से इनकार कर दिया है। साथ ही सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने प्राधिकरण को हर 15 दिन में बैठक करने का निर्देश दिया है।

तमिलनाडु की याचिका से फिर चर्चा में आया विवाद

कावेरी जल विवाद (Cauvery Water Dispute) बीते दिनों उस वक्त फिर चर्चा में आ गया, जब तमिलनाडु सरकार (Tamil Nadu Government) ने कर्नाटक से अपने जलाशय के जल में से 24 हजार क्युसेक पानी प्रतिदिन देने की मांग करते हुए सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में याचिका दायर की थी। वहीं कर्नाटक (Karnataka) का कहना है कि इस बार कम बारिश की वजह से राज्य को सूखे जैसी स्थिति का सामना करना पड़ रहा है। इस वजह से कर्नाटक (Karnataka) ने पानी छोड़ने में असमर्थता जताई थी।

क्या है कावेरी जल विवाद?

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कावेरी नदी (Cauvery River)  को ‘पोन्नी’ कहा जाता है। यह दक्षिण पश्चिम कर्नाटक (South West Karnataka) के पश्चिमी घाट की ब्रह्मगिरी पहाड़ी से निकलती है। यह नदी कर्नाटक (Karnataka) से तमिलनाडु राज्यों में होकर पुडुचेरी से होते हुए बंगाल की खाड़ी (Bay of Bengal) में गिरती है। कावेरी जल विवाद (Cauvery Water Dispute) आजादी से पहले के दो समझौतों 1892 और 1924 के चलते है। इन समझौतों के तहत किसी भी निर्माण परियोजना, जैसे कावेरी नदी (Cauvery River)  पर जलाशय के निर्माण के लिए ऊपरी तटवर्ती राज्य को निचले तटवर्ती राज्य की अनुमति लेना जरूरी है। साल 1974 में कर्नाटक ने तमिलनाडु की सहमति के बिना पानी मोड़ना शुरू कर दिया, जिससे दोनों राज्यों में पानी को लेकर विवाद हो गया। इस मुद्दे को हल करने के लिए साल 1990 में कावेरी जल विवाद न्यायाधिकरण (Cauvery Water Dispute Tribunal) की स्थापना की गई।

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