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स्वामी प्रसाद मौर्य ने लक्ष्मी पूजा पर खड़े किए सवाल, बोले -‘देवी पूजा करने से कोई अमीर बन जाता तो…’

By संतोष सिंह 
Updated Date

लखनऊ। यूपी के पूर्व मंत्री और अपनी जनता पार्टी के अध्यक्ष स्वामी प्रसाद मौर्य (Swami Prasad Maurya) एक बार फिर से विवादों में हैं। उन्होंने इस बार माता लक्ष्मी की पूजा पर सवाल खड़े कर दिए हैं। स्वामी प्रसाद मौर्य (Swami Prasad Maurya) ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर एक ट्वीट में गृहणी को असल गृह लक्ष्मी बताया और माता लक्ष्मी को बाहरवाली लक्ष्मी करार दिया है। अब इस ट्वीट पर विवाद के बाद स्वामी प्रसाद मौर्य (Swami Prasad Maurya) सामने आए और अपनी बात रखी है।

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क्या था स्वामी प्रसाद मौर्य का ट्वीट?

स्वामी प्रसाद मौर्य (Swami Prasad Maurya) ने ट्वीट में कहा कि दीपोत्सव महापर्व पर समस्त देशवासियों को बहुत बधाई एवं शुभकामनाएं । आइये हम सब दीप जलाये,किन्तु ध्यान रहे पड़ोसी के यहां भी दीप जले यह भी सुनिश्चित करे । आइये हम पूजन व सम्मान करे असली गृह लक्ष्मी ( गृहणी) की जो सही मायने में ताउम्र घर को साफ – सुथरा सुंदर-सुघर व स्वर्ग बनाती हैं । घर के छोड़े- बड़े सभी सदस्यों को प्यार की डोर से पिरोकर एकता का पाठ पढ़ाती हैं । घर को स्वर्ग से भी सुंदर बनाती है इसलिए “घरवाली” गृह लक्ष्मी कहलाती हैं । बाहरवाली लक्ष्मी तो हर बार बाज़ार से आती हैं फिर चली जाती है इसलिए तो हमारी बिगड़ी हालात कभी भी सुधर नहीं पाती हैं क्योंकि बाहरवाली बाहरवाली ही होती हैं। धन की देवी लक्ष्मी से भला होता तो देश में 80 करोड़ लोगों को बदहाली, गरीबी, लाचारी-बेवसी की जिंदगी मात्र 5 कि ग्रा या 10 कि ग्रा चावल पर वितानी न पड़ती। करोड़ो बेरोजगार नौजवानों को रोजी-रोटी के लाले न पड़ते ।दुनिया के गरीब देशों में भारत नहीं होता। आइये घर की असली लक्ष्मी को पहचाने एव उनका सम्मान व पूजन करें। ऐसा न हो कि घर की लक्ष्मी बजाय बाहरवाली पूजा मांगे।

स्वामी प्रसाद मौर्य ने दी सफाई

स्वामी प्रसाद मौर्य (Swami Prasad Maurya) ने कहा कि मैंने दीपोत्सव पर लोगों को शुभकामनाएं दीं। लोगों को अपने घर में दिया जलाने की अपील की और कहा कि पड़ोसी के यहां भी दीप जलना चाहिए। जिस धर्म के प्रतीक के रूप में हम देवी लक्ष्मी की पूजा करते हैं, ये एक परंपरा हो सकती है लेकिन व्यवहारिक सच से कोसों दूर है। अगर धन की देवी लक्ष्मी की पूजा करने से धन आता, तो भारत दुनिया के गरीब देशों में शूमार नहीं होता।

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स्वामी प्रसाद मौर्य (Swami Prasad Maurya) ने कहा कि “वे 80 करोड़ लोग जो 5-10 किलोग्राम चावल पर जीवित रहते हैं, अपने बच्चों को विश्वविद्यालय भेज सकते हैं? क्या ऐसे लोग अपने बच्चों को डॉक्टर बना सकते हैं। इंजीनियर, प्रोफेसर, वकील, आईएएस, आईपीएस या वैज्ञानिक? कभी नहीं। करोड़ों युवा आज बेरोजगार हैं। यदि धन की देवी लक्ष्मी से प्रार्थना करने से गरीबी दूर हो जाती, तो 80 करोड़ लोग सिर्फ 5-10 किलोग्राम चावल पर जीवित नहीं रहते और करोड़ों युवा बेरोजगार नहीं होते। तो स्वाभाविक रूप से ये परंपरा हो सकती है।

‘मैंने किसी पूजा का विरोध नहीं’ 

स्वामी प्रसाद मौर्य (Swami Prasad Maurya) ने कहा कि मैंने किसी भी प्रकार की पूजा का विरोध नहीं किया, मैंने सिर्फ इतना कहा कि सही मायने में ‘घर की लक्ष्मी’ गृहिणी होती है। ऐसा इसलिए क्योंकि वह घर को चौबीसों घंटे साफ रखती है और इसे स्वर्ग बनाती है। छोटे-बड़े सभी को प्रेम के धागे में पिरो कर एकता का पाठ पढ़ाती है। अगर पूजा ही करनी है तो घर की देवी यानी गृहिणी की पूजा करिए ताकि घर में सुख-समृद्धि बनी रहे। ये एक अपील है, अगर लोग इसे अन्यथा लेते हैं, तो यह उनकी मानसिकता पर निर्भर करता है।

नौजवान बेरोजगार क्यों घूम रहे : स्वामी प्रसाद मौर्य

स्वामी प्रसाद मौर्य (Swami Prasad Maurya) ने कहा कि बात तो ये है कि अगर भारत दुनिया की चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन चुका है तो 80 करोड़ लोग 5 से 10 किलो चावल पर जीवन क्यों बीता रहे हैं। इस देश में करोड़ों नौजवान बेरोजगार क्यों घूम रहे हैं। किसी भी चीज को राजनीतिक रूप से कैश करना अलग चीज है और व्यवहार में क्या है ये अलग चीज है।

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