उत्तराखंड। भारत दुनिया की सबसे पुरानी और जीवित संस्कृति व सभ्यता है। इसकी जड़ें अत्यंत गहरी हैं। इन जड़ों के रूप में यहां के सिद्धांत हैं जो इसको अभी तक जीवित रखें हुए हैं। इस संस्कृति के मूल में है गुरु-शिष्य परंपरा औऱ सिद्धान्त है। आवश्यकता आविष्कार की जननी है। जिसने इसको समय के अनुसार परिवर्तन के साथ खड़ा रखा है।
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योगी विकास ने बताया कि यहां की पीढ़ियों ने, समय की मांग व आवश्यकता के अनुसार ढल जाने की विशेषता है। इस सिद्धांत का परम्परा से प्रवाहमान रहने ने ही। यहां की संस्कृति व सभ्यता को आज तक जिंदा रखा हुआ है। योगी विकास ने बताया कि इसी को ही कृतार्थ करने में लगे हुए हैं। हिसार के योगी विकास, जो योग, आयुर्वेद व भारतीय संस्कृति में अपना यथासंभव योगदान दे रहे हैं।
पारम्परिक को प्रवाहमान रखना हो या उसको संशोधित करके वर्तमान स्वरूप में लेकर आना हो। योगी विकास ने योग गुरु स्वामी रामदेव के सानिध्य और अपने गुरुजनों के सहयोग से इसी कड़ी में आज गुरु-शिष्य परंपरा व आवश्यकता आविष्कार की जननी को कृतार्थ करते हुए समय व समाज की मांग के अनुसार उच्च शिक्षा यूजीसी नेट व आयुष मंत्रालय के योग सर्टिफिकेशन बोर्ड के पाठ्यक्रम पर आधारित पुस्तक “योग: द योगा साइंस” का लेखन किया। गुरु-शिष्य परंपरा का पालन करते हुए आज योगऋषि स्वामी रामदेव के करकमलों द्वारा इस पुस्तक के दूसरे संस्करण का विमोचन भी हुआ।
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स्वामी रामदेव के साथ केंद्र सरकार में सामाजिक न्याय व अधिकारिता राज्यमंत्री रामदास अठावले ने पतंजलि योगपीठ, हरिद्वार में इस योग पुस्तक का विमोचन किया। योगी विकास की इस पुस्तक की सफलता के लिए आशीर्वाद प्रदान किया। योगी विकास ने बताया कि इस पुस्तक को 2018 से 2022 तक योग छात्र-छात्राओं में सबसे अधिक पसंद व लोकप्रिय पुस्तकों में सुमार रही है। पुस्तक के लेखक योगी विकास ने बताया कि यूजीसी पाठ्यक्रम की दृष्टि से इसमें लगभग सभी टॉपिक को बहुत ही सरल व सहज भाषा में समझाया गया है। आज छात्रों की भलाई व मांग के मद्देनजर इस पुस्तक का दूसरा संस्करण उतारा गया है।
योगी विकास ने बताया कि इस पुस्तक को अपने गुरुजनों को समर्पित किया। योगी विकास ने स्वामी रामदेव, मंत्री रामदास अठावले, योगपीठ के केंद्रीय प्रभारी राकेश मित्तल, आचार्य तीर्थदेव, आचार्य चंदन, पतंजलि प्रभारी ईश आर्य, पूरे पतंजलि परिवार, आस्था परिवार व गुरुजनों, मीडिया का आभार प्रकट किया।