उत्तर प्रदेश के ग्रेटर नोएडा में मंगलवार को साइबर सेल और दादरी थाना पुलिस ने संयुक्त कार्यवाही करते हुए ठगी करने वाले एक बड़े गिरोह का पर्दाफास किया है। पुलिस टीम ने एक एक महिला कांस्टेबल सहित पांच लोगो को गिरफ्तार किया है। इस गैंग के द्वारा लेप्स हुई इंश्योरेंस पालिसी का सैटलमेंट कराने के नाम पर लोगो के साथ करोड़ो रुपये की ठगी कर चुके है। पकड़े गए आरोपियो के पास से पुलिस ने 8 मोबाइल फोन, 6 सिमकार्ड, 4 एटीएम कार्ड, 5 डायरी, 4 डाटाशीट, 1 मोहर जीबीआइसी और दूसरी मोहर मिनिस्ट्री ऑफ फाइनेंस के नाम से बनी 2 मोहरे और 2 आधार कार्ड बरामद किये है।
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ग्रेटर नोएडा के डीसीपी अभिषेक वर्मा ने बताया कि कुछ समय पहले थाना क्षेत्र निवासी अशोक शर्मा ने शिकायत की थी कि उनकी एक बीमा पॉलिसी बंद थी। इस पॉलिसी का सैटलमेंट कराने के लिए कुछ लोगो का फोन आया था। इन लोगो ने धोखाधड़ी करते हुए उनके साथ 80 लाख रुपये की धोखाधड़ी कर ली गई। पुलिस ने रिपोर्ट दर्ज कर तभी से जांच कर रही थी। मंगलवार को ग्रेटर नोएडा साइबर सेल और दादरी पुलिस ने एक सूचना पर संयुक्त कार्यवाही करते हुए बीलकट दादरी के पास से एक महिला सहित पांच साइबर ठगो को गिरफ्तार कर लिया। पुलिस के अनुसार पकड़े गए आरोपियो की पहचान तिबड़ा रोड़ मोदीनगर गाजियाबाद निवासी प्रियंका, दीपक, गांधीपार्क अलीगढ़ निवासी जितेंद्र उर्फ जीतू, चरथावल मुजफ्फरनगर निवासी विशाल त्यागी, बीबीनगर बुलंदशहर निवासी हरेन्द्र को गिरफ्तार किया है। पकड़े गए आरोपी गैंग बनाकर लेप्स हुई इंश्योरेंस पॉलिसी का सैटलमेंट कराने के नाम पर ठगी करते थे। ये लोग पिछले दो साल से करोड़ो रुपये की ठगी कर चुके है।
शामली में तैनात है महिला कांस्टेबल
डीसीपी ने बताया कि पकड़ा गया आरोपी दीपक इस गैंग का मास्टरमाइंड है। दीपक पहले इश्योरेंस कंपनी में काम करता था। जहां से इसके पास ग्राहको का डाटा था। दीपक की पत्नी प्रियंका पुलिस में कांस्टेबल है और हाल में शामली में तैनात है। इसके अलावा कई अन्य पुलिस कर्मियो के भी इसमें शामिल होने की भी बात संज्ञान में आई है। अभी इस मामले में ओर जांच की जा रही है।
ऐसे करते थे ठगी
डीसीपी ने बताया कि पकडे गए आरोपियो से पूछताछ में पता चला कि आरोपी लेप्स इंश्योरेंस पॉलिसी धारको को बीमा लोकपाल बनकर कॉल करते थे और पॉलिसी के लेप्स हुये पैसे को कई गुणा बढाकर पैसा रिकवर कराने का झांसा देते थे। जो लोग इनके झांसे में आते थे उन्हे यह गैंग बनाकर लालच देते थे और रजिस्ट्रेशन चार्ज व अन्य चार्ज के नाम पर ठगी कर पैसा ले लेते थे। लिये गये पैसे को यह लोग बाद में पूरा रिफंड करने की बात कहते थे, मगर करते नही थे।