नई दिल्ली। केंद्र सरकार ने मेघालय के राज्यपाल सत्यपाल मलिक के खिलाफ सीबीआई जांच की मंजूरी दे दी है। बता दें कि इसके बाद जल्द ही सत्यपाल मलिक के खिलाफ सीबीआई कार्रवाई कर सकती है। यह मामला जम्मू-कश्मीर में राज्यपाल रहते उन्हें रिश्वत की पेशकश से जुड़ा हुआ है। जम्मू-कश्मीर प्रशासन ने पूरे मामले की निष्पक्ष जांच के लिए सीबीआई से मामले की जांच कराने की सिफारिश की थी।
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बता दें कि किसान आंदोलन (Kisan Andolan) के दौरान मोदी सरकार की खुले तौर पर आलोचना करने वाले मेघालय के गवर्नर सत्यपाल मलिक (Meghalaya Governor Satyapal Malik ) ने उनके खिलाफ सीबीआई जांच (CBI Investigation) की आंच पर शुक्रवार को मीडिया इंटरव्यू में चुप्पी तोड़ी है। मलिक ने कहा कि वो खामोशी से बैठने वाले व्यक्तियों में से नहीं हैं। उन्होंने कहा कि मैं किसी भी जांच के लिए तैयार हूं। जब कीचड़ में पत्थर मारा जाता है तो कीचड़ दूसरों पर भी उछलता है। उन्होंने कहा कि मैं साफ़ कर देना चाहता हूं कि मेरे आरोपों पर सीबीआई जांच हो रही है। मलिक ने कहा कि मैं पांच कुर्ते पायजामे में कश्मीर गया था और वैसे ही वापस हो गया। मैं डरता नहीं हूं और आगे भी किसानों की आवाज़ उठाता रहूंगा।
मेघालय के गवर्नर ने कहा कि मैंने उस वक़्त भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को बताया था कि 300 करोड़ की रिश्वतख़ोरी हुई है। मैंने दोनों डील रद्द कर दी थी। उन्होंने स्पष्ट किया कि मेरे किसी काम पर जांच नहीं हो रही है। मैं ख़ुश हूं कि मेरे द्वारा सामने लाए गए आरोपों पर जांच हो रही है। मेरे पास तो और भी नाम हैं। जांच होगी तो उनके नामों का खुलासा रहूंगा। मैं डरूंगा नहीं डट के लड़ूंगा। रिटायर होने के बाद किसानों के मुद्दों पर काम करता रहूंगा।
बता दें कि जम्मू-कश्मीर के राज्यपाल रहे सत्यपाल मलिक के रिश्वत की पेशकश वाले आरोपों की अब CBI जांच का फैसला किया गया है। सत्यपाल मलिक ने दावा किया था कि जब वह जम्मू-कश्मीर के राज्यपाल थे। तब संघ और बड़े औद्योगिक घराने की फाइलें क्लियर करने के बदले में उनको 300 करोड़ रुपये का ऑफर दिया गया था। हालांकि उन्होंने घूस की रकम लेने से इनकार किया और सौदों को रद्द कर दिया था। कहा जा रहा है कि इसमें सत्यपाल मलिक की भूमिका की भी जांच होगी।
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सत्यपाल मलिक ने तीन कृषि कानूनों (Farm Laws) की वापसी के लिए किसान आंदोलन का खुलकर समर्थन किया था। सरकार पर अड़ियल रवैया अपनाने का आरोप भी लगाया था। मलिक ने सरकार को कई बार आगाह किया था कि उसे जिद छोड़कर सरकार को बात मान लेनी चाहिए औऱ तीनों कृषि कानूनों को वापस ले लेना चाहिए। इसका राजनीतिक खामियाजा उसे भुगतना पड़ सकता है। किसानों के एक साल से भी ज्यादा चले लंबे आंदोलन के बाद पिछले साल नवंबर में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्वयं इन कानूनों की वापसी की घोषणा की थी।