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‘गैस वेंडर का बेटा और गरीब परिवार…ईंट-भट्टे में मजदूरी और स्वीपर का किया काम,’ क्रिकेट के चमकते सितारे Rinku Singh के संघर्ष की कहानी

By Abhimanyu 
Updated Date

Story of Rinku Singh’s Struggle: 

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रात नहीं ख्वाब बदलता है, मंजिल नहीं कारवां बदलता है,

जज्बा रखो जीतने का क्यूंकि, किस्मत बदले न बदले,

पर वक्त जरुर बदलता है…

ये  पंक्तियां दुनियाभर के कई महान शख़्सियतों के संघर्ष की कहानी की बयां करती हैं। हालांकि, आज के दौरे में कुछ युवा भी संघर्ष की अग्नि में तपकर सोना बनकर उभर रहे हैं। इन युवाओं में क्रिकेट जगत के उस खिलाड़ी का नाम भी शामिल है, जिसने अपनी एक अविश्वसनीय पारी से दुनियाभर के क्रिकेट प्रशंसकों का ध्यान अपनी ओर खींचा था और आज के समय में वह भारतीय क्रिकेट का एक चमकता हुआ सितारा बनकर उभर रहा है, हम बात कर रहे हैं, भारत के बाएं हाथ के युवा बल्लेबाज रिंकू सिंह (Rinku Singh) की।

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रिंकू सिंह ने उस वक्त सबसे ज्यादा सुर्खियां बटोरी थीं, जब उन्होंने आईपीएल 2023 के 13वें मैच में असंभव दिख रहे कार्य को संभव करके दिखाया था, जो शायद ही इतिहास में कभी हुआ था और आगे शायद ही कभी देखने को मिलेगा। दरअसल, कोलकाता नाइट राइडर्स (Kolkata Knight Riders) को गुजरात टाइटंस (Gujarat Titans) के खिलाफ इस मैच के आखिरी ओवर में जीत के लिए 29 रन चाहिए थे और 3 विकेट ही बाकी थे। लेकिन रिंकू ने 5 छक्के लगाकर अपनी टीम को एक असंभव जीत दिलायी। उन्होंने 21 गेंदों पर 48 रनों की नाबाद पारी खेलकर असंभव को संभव कर दिखाया। जिसके बाद वह कई दिनों तक सुर्खियों में बने रहे। दुनियाभर के दिग्गज क्रिकेटर भी उनके इस प्रदर्शन से काफी प्रभावित हुए। इसके बाद रिंकू सिंह आगे ही बढ़ते जा रहे हैं और अब वह भारत के लिए भी अंतरराष्ट्रीय मैचों खेल रहे हैं। जहां वह अपनी विस्फोटक पारियों से लोगों को प्रभावित कर रहे हैं और उनकी पहचान एक ऐसे फिनिशर के तौर पर बन गयी है, जो अंतिम गेंद तक मैच को पलटने की क्षमता रखता है। हालांकि, आज इस मुकाम पर पहुंचे रिंकू सिंह का शुरुआती जीवन संघर्षों से भरा रहा। उनके इसी संघर्ष की कहानी को हम इस लेख में जानेंगे…

संघर्ष भरा रहा शुरुआती जीवन

रिंकू सिंह का जन्म 12 अक्टूबर 1997 को उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ में हुआ था। उनके परिवार की आर्थिक स्थिति बेहद खराब थी। रिंकू के पिता खानचंद्र सिंह लखनऊ में एक एलपीजी एजेंसी में सिलेंडर डिलीवरी का काम किया करते थे। पिता की आय से उनके घर का खर्च निकलना मुश्किल हो रहा था, जिसकी वजह से परिवार के अधिकांश सदस्य गुजारा करने के लिए छोटे-मोटे काम करने लगे। जैसे बड़े भाई ऑटो रिक्शा चलाते थे दूसरे भाई एक कोचिंग सेंटर में काम करते थे। रिंकू ने अपना बचपन 2 कमरे के घर में गुजारा और आर्थिक तंगी के चलते उन्होंने काम करने का मन भी बनाया। उन्होंने स्वीपर और क्लीनर के तौर पर काम किया। इसके अलावा उन्हें ईंट-भट्टे में एक मज़दूर के रूप में काम करने के लिए मजबूर होना पड़ा। लेकिन आर्थिक तंगी और संघर्ष रिंकू के हौसले तोड़ नहीं पाये। रिंकू अपने माता-पिता के तीसरी संतान हैं। उनको बचपन से ही क्रिकेट में रूचि थी और बेहद गरीब और साधारण परिवार से होने के बावजूद उन्होंने अपनी मेहनत और लगन से क्रिकेटर बनने का सपना पूरा किया।

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रिंकू ने एक इंटरव्यू में खुलासा किया था कि साल 2012 में उन्हें क्रिकेट खेलने पर पिता से मार तक खानी पड़ी थी, लेकिन उन्होंने अपनी जिद नहीं छोड़ी और साल 2012 में ही क्रिकेट खेलते हुए मोटरसाइकिल ईनाम में जीती। इसके बाद उनके पिता ने उन्हें सपोर्ट किया और इस मुकाम तक पहुंचाने में खास योगदान दिया। बता दें कि परिवार की आर्थिक स्थिति अच्छी न होने के कारण रिंकू सिंह ज्यादा पढ़ाई नहीं कर पाये। वह सिर्फ 9वीं कक्षा तक ही पढ़े हैं।

क्रिकेट की दुनिया में आगाज

रिंकू सिंह अपनी टीम के लिए खेलते रहे और कई टूर्नामेंटों में भाग लेते रहे। साल 2012 में उन्होंने एक स्कूल टूर्नामेंट में बाइक जीता था। शुरू में क्रिकेट से कमाए पैसों को रिंकू ने घर का कर्ज चुकाने में लगा दिया। इसके बाद वह जल्द ही बड़े टूर्नामेंट खेलने लगे और उनका चयन यूपी की टीम में हो गया। उन्होंने अंडर-16, अंडर-19 और अंडर-23 स्तर पर यूपी और अंडर-19 स्तर पर सेंट्रल जोन का प्रतिनिधित्व किया है। मार्च 2014 में, 16 साल की उम्र में रिंकू ने यूपी के लिए खेलते हुए लिस्ट ए क्रिकेट में डेब्यू किया। अपने डेब्यू मैच में वह 83 रनों के स्कोर के साथ हाई स्कोरर रहे। लिस्ट ए क्रिकेट में भी रिंकू का प्रदर्शन बेहद शानदार रहा है। 5 नवंबर 2016 को रिंकू सिंह ने रणजी ट्रॉफी 2016-17 में यूपी की टीम के लिए फर्स्ट क्लास में डेब्यू किया और अपनी टीम के लिए कुछ अहम पारियां खेलीं। इसके बाद उन्होंने विजय हजारे ट्रॉफी 2018 के एक मैच में धमाकेदार प्रदर्शन किया, जहां उन्होंने त्रिपुरा के खिलाफ 44 गेंदों में नाबाद 91 रनों की तूफानी पारी खेली। रिंकू सिंह के लिए 2018-19 रणजी ट्रॉफी ब्रेकआउट सीज़न था, जहां उन्होंने 10 मैचों में 105.88 की औसत से चार शतक और तीन अर्द्धशतक के साथ 953 रन बनाए।

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आईपीएल में नहीं मिल रहे थे मौके

घरेलू क्रिकेट में अपनी छाप छोड़ने वाले रिंकू सिंह को 2017 में किंग्स इलेवन पंजाब (वर्तमान में पंजाब किंग्स) ने 10 लाख रुपये में खरीदा था। हालांकि, उन्हें टूर्नामेंट में एक भी मैच में खेलने को नहीं मिला। इसके बाद 2018 में आईपीएल के 10वें संस्करण के लिए कोलकाता नाइट राइडर्स ने रिंकू को 80 लाख रुपये में अपने साथ जोड़ा, जो उनके बेस प्राइस का चार गुना था। लेकिन रिंकू को केकेआर के साथ शुरुआती तीन सीजन में ज्यादा मौके नहीं मिल पाये है। वहीं, आईपीएल 2021 में वह इंजरी के चलते एक भी मैच नहीं खेल पाए। इसके बाद रिंकू को आईपीएल 2022 के मेगा ऑक्शन में केकेआर ने 55 लाख रुपए में खरीदा, उस सीजन रिंकू ने 7 मैचों में 148.72 की स्ट्राइक रेट से 174 रन बनाए। फिर केकेआर ने 2023 आईपीएल सीजन के लिए भी रिंकू को टीम में बरकरार रखा। इसी सीजन में रिंकू सिंह के बल्ले से वो पारी आयी, जिसने क्रिकेट जगत में सनसनी मचा दी। 9 अप्रैल 2023 को रिंकू सिंह ने गुजरात टाइटंस के खिलाफ खेले गए मैच के अंतिम ओवर में यश दयाल की 5 गेंदों में लगातार 5 छक्के लगाकर केकेआर को एक यादगार जीत दिलायी और रातों-रात स्टार बन गए। आईपीएल में शानदार प्रदर्शन ने रिंकू सिंह के लिए भारतीय टीम के दरवाजे खोल दिये। 18 अगस्त 2023 को रिंकू ने टी20 अंतर्राष्ट्रीय में डेब्यू था और 19 दिसंबर 2023 को साउथ अफ्रीका के खिलाफ वनडे इंटरनेशनल में डेब्यू किया। मौजूदा समय में रिंकू अपनी विस्फोटक पारियों से भारतीय टीम में फिनिशर की भूमिका निभा रहे हैं।

रिंकू सिंह की नेटवर्थ

रिंकू सिंह का बचपन भले ही आर्थिक तंगी में गुजरा, लेकिन मौजूदा समय में वह करोड़पति बन चुके हैं। रिपोर्ट्स के मुताबिक, रिंकू सिंह की नेटवर्थ लगभग 50 करोड़ रुपये है। उनकी सालाना आय करीब 60 लाख रुपये है। रिंकू के होमटाउन अलीगढ़ में एक घर है, जिसकी कीमत लाखों में है। उन्हें बाइक चलाना काफी पसंद हैं और उनके पास रॉयल एनफील्ड की बुलेट बाइक है। रिंकू ने चार साल पहले अपने परिवार के लिए मारुति सुजुकी की ब्रेजा SUV कार खरीदी थी, जिसकी कीमत करीब 14 लाख रुपये है।

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