नई दिल्ली। देश के 11 राज्यों में कोरोना संक्रमण की स्थिति गंभीर होती जा रही है और आंकड़े चिंता बढ़ाने वाले हैं। नई दिल्ली स्थित अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) के निदेशक रणदीप गुलेरिया ने कहा कि कोविड-19 प्रोटोकाल का पालन नहीं किए जाने से स्थिति बिगड़ी है। उन्होंने कहा कि स्थिति ठीक वैसी ही होती जा रही है, जैसी क्रिसमस के बाद ब्रिटेन में देखने को मिली थी।
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रणदीप गुलेरिया ने बताया कि कोरोना संक्रमण के मामले कम होने के बाद लोग सोचने लगे कि कोविड खत्म हो गया है। इसके बाद टीकाकरण शुरू होने के बाद लापरवाही स्पष्ट रूप से सामने आई। उन्होंने कहा कि मास्क लगाने, भीड़ एकत्र नहीं करने, दो गज की दूरी बनाए रखने जैसे कोविड प्रोटोकाल की अनदेखी की जाने लगी। गुलेरिया ने बताया कि टीका आने के बाद तो लोग सोचने लगे कि अब सब ठीक हो गया है।
इस वजह से संक्रमण के मामले फिर से बढ़ने लगे है। गुलेरिया ने बताया कि वायरस भी लगातार स्वरूप बदल रहा है, हमें मालूम नहीं था कि नया वायरस कितना प्रभावी है। उन्होंने कहा कि अगर वायरस का कोई नया स्वरूप ऐसे महौल में आए जहां कोविड-19 प्रोटोकाल का पालन नहीं किया जा रहा हो, तब वह काफी तेजी से फैलता है। ऐसी ही स्थिति इस बार देखने को मिली है। रणदीप गुलेरिया ने कहा कि इस बार संक्रमण की रफ्तार काफी तेज है जोकि चिंता का विषय है।
देश में जिस प्रकार कोरोना के आंकड़े एक बार फिर बढ़ रहे हैं, उसे देखते हुए ऐसी आशंका है कि वायरस का कोई ऐसा स्वरूप प्रवेश कर गया हो जो और तेजी से फैल रहा है। ये ठीक ऐसी ही स्थिति दिख रही है जैसी क्रिसमस के बाद ब्रिटेन में सामने आई थी। गुलेरिया से सुझाव देते हुए बताया कि जिन स्थानों पर कोविड-19 के मामले बढ़ रहे हैं, वहां छोटे निषिद्ध क्षेत्र बनाना या उस इलाके में ‘मिनी लॉकडाउन लगाना बेहतर रहेगा।
उन्होंने कहा कि इन क्षेत्रों में इस बात पर ध्यान देना होगा कि कोई वहां से बाहर नहीं निकले और न ही कोई अंदर जाए। यह स्थिति दो हफ्ते तक बनाकर रखनी होगी। ऐसा इसलिए क्योंकि अभी लोग प्रभावित इलाकों से दूसरे क्षेत्रों में जा रहे हैं और संक्रमण फैल रहा है।निदेशक रणदीप गुलेरिया ने अगर आदर्श स्थिति हो तब तो सभी लोगों को टीका लगाया जाना चाहिए, लेकिन भारत की बड़ी जनसंख्या को देखते हुए, हमें इस बात पर ध्यान देना होगा कि देश में टीके के उत्पादन की क्या स्थिति है?
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उन्होंने बताया कि 18 वर्ष से अधिक उम्र की करीब एक अरब आबादी को देखते हुए हमें दो अरब टीके की खुराक की जरूरत होगी। गुलेरिया ने कहा कि अभी ‘कोविशील्ड और ‘कोवैक्सीन दो टीके भारत में बन रहे हैं। इतनी बड़ी संख्या में तत्काल टीके उपलब्ध नहीं हैं। टीके के लिए उम्र की बाध्यता समाप्त करने से ऐसे लोगों को टीका देर से लगने की आशंका रहेगी जिन्हें इसकी पहले जरूरत है।
टीके की उपलब्धता को ध्यान में रखते हुए धीरे-धीरे इसे कम उम्र समूह के लोगों के लिए भी खोलना चाहिए। उन्होंने कहा कि वर्तमान स्थिति को कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर का ‘पीक’ नहीं कहा जा सकता। अभी कुछ और समय लगेगा। अभी मामले बढ़ेंगे। ऐसे में लोगों को दो गज की दूरी बनाए रखनी चाहिए और हर समय मास्क पहनना चाहिए।