Triveni Ram jeevan parichay : गाजीपुर जनपद (Ghazipur District) के निर्वाचन क्षेत्र – 373, जखनिया विधानसभा (Constituency – 373, Jakhania Assembly) क्षेत्र सुरक्षित सीट से सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी (Suheldev Bharatiya Samaj Party) के टिकट पर उत्तर प्रदेश की 17 वीं विधानसभा (17th Legislative Assembly of Uttar Pradesh) में पहली बार विधायक त्रिवेणी राम निर्वाचित हुए हैं। जनपद के मोहम्मदाबाद विधानसभा क्षेत्र निवासी त्रिवेणी राम अपने ग्राम सभा के लगातार कई बार से ग्राम प्रधान (Gram Pradhan) रहे हैं। त्रिवेणी राम वर्ष 2017 में भाजपा-सुभासपा गठबंधन (BJP-SUBHASPA alliance) के तहत त्रिवेणी राम जखनिया विधानसभा (Jakhania Assembly)से प्रत्याशी बनाए गए। जिसमें उन्होंने ग्राम पंचायत मुखिया से सीधे विधानसभा में प्रवेश किया।
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ये है पूरा सफरनामा
नाम- त्रिवेणी राम
निर्वाचन क्षेत्र – 373, जखनिया, गाज़ीपुर
दल – सुलेहदेव भारतीय समाज पार्टी
पिता का नाम – किशुन राम
जन्म तिथि –25 मार्च, 1968
जन्म स्थान – करमचन्दपुर
धर्म – हिन्दू
जाति – अनुसूचित जाति (चमार)
शिक्षा – साक्षर
विवाह तिथि – 24 मई, 1990
पत्नी का नाम – पुष्पा देवी
सन्तान – एक पुत्र, दो पुत्रियाँ
व्यवसाय – कृषि
मुख्यावास – ग्राम-करमचन्द पुर, पोस्ट-प्रधान की बरेजी, जनपद- गाजीपुर
राजनीतिक योगदान
मार्च, 2017 सत्रहवीं विधान सभा के सदस्य प्रथम बार निर्वाचित
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सुभासपा विधायक त्रिवेणी राम गबन के एक मामले में दोषी पाये गये
सुभासपा विधायक त्रिवेणी राम गबन के एक मामले में दोषी पाये गये हैं। बता दें कि मोहम्दाबाद विकासखंड के करमचंद पुर ग्राम सभा बसपा के शासन काल वर्ष 2008 में अंबेडकर गांव के रूप में चयनित हुआ था इसके बाद यहां विकास के लिए शासन से दिल खोलकर बजट मिला। उस दौरान मौजूदा जखनिया विधायक त्रिवेणी राम इसी गांव के ग्राम प्रधान थे। कुछ समय बाद गांव के ही राजीव रंजन ने विकास कार्य मनरेगा व शौचालय के लिए आए धन में सचिव की मिलीभगत से ग्राम प्रधान पर व्यापक घपले का आरोप लगाया।
तत्कालीन जिलाधिकारी ने ग्राम प्रधान व सचिव लाल जी राम को निलंबित कर दिया तत्कालीन जिलाधिकारी के तबादले के बाद साल 2014 में पुनः तत्कालीन डीएम चंद्रपाल सिंह ने तकनीकी जांच कराई इसमें 56,06,558 रुपये घपले की बात सामने आई थी। तत्कालीन जिला विकास अधिकारी सुरेश चंद्र राय की जांच रिपोर्ट के आधार पर डीएम ने सचिव के खिलाफ एफआईआर का निर्देश देने के साथ ग्राम प्रधान के वित्तीय अधिकार सीज कर दिए थे। बावजूद इसके जांच के प्रगति से निराश शिकायतकर्ता राजीव रंजन हाईकोर्ट की शरण लिया।
न्यायालय ने दो माह में जांच कर आख्या प्रस्तुत करने का जिला अधिकारी को आदेश दिया था जिस पर जिलाधिकारी के बालाजी ने परियोजना निदेशक के नेतृत्व में 3 सदस्य टीम गठित की टीम ने टेक्निकल जांच की गई।