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जलवायु परिवर्तन के कारण कहीं बाढ़ तो कहीं सूखा जैसी स्थितियां हो रही हैं दृष्टिगोचर : कृषिमंत्री सूर्य प्रताप शाही

By संतोष सिंह 
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लखनऊ। उद्यानिकी कृषि अनुसंधान समिति लखनऊ के तरफ से रविवार 25 अगस्त को ‘कृषि परिवर्तन एवं पर्यावरण सुरक्षा’ विषय पर एक दिवसीय अंर्तराष्ट्रीय सेमिनार बंधन होटल में आयोजन किया गया। सेमिनार के मुख्य अतिथि यूपी के कृषिमंत्री सूर्य प्रताप शाही ने कहा कि डॉ. इन्द्र कुमार चौरसिया द्वारा आयोजित इन्टरनेशनल सेमिनार जो ‘कृषि परिवर्तन एवं पर्यावरण सुरक्षा’ आज के समय में सम-सा​मयिक विषय है।

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कृषिमंत्री सूर्य प्रताप शाही ने कहा कि जलवायु में दिखने वाले ये परिवर्तन लंबे समय का परिणाम है जिसके न केवल क्षेत्रीय एवं वैश्विक प्रभाव देखने को मिल रहे हैं बल्कि संपूर्ण विश्व जलवायु परिवर्तन से प्रभावित हो रहा है। उन्होंने कहा कि जलवायु परिवर्तन प्राकृतिक एवं मानवीय दोनों कारणों से हो रहा है जिसमें मानवीय कारणों का अधिक योगदान है।

उन्होंने कहा कि कृषि को जलवायु परिवर्तन ने व्यापक स्तर पर नकारात्मक रूप से प्रभावित किया है। भारत की अधिकांश कृषि वर्षा आधारित है जिस पर मानसून की अनिश्चितता बनी रहती है। जलवायु परिवर्तन के कारण मानसून और अधिक अनिश्चितता हुआ है। साथ ही वर्षा के असामान्य वितरण से कहीं बाढ़ तो कहीं सूखा जैसी स्थितियां दृष्टिगोचर हो रही हैं।

सूर्य प्रताप शाही ने कहा कि जलवायु किसी भी देश के रहन-सहन, खान-पान कृषि अर्थव्यवस्था आदि के निर्धारण में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाती है। भारत में लगभग 60 प्रतिशत लोग अपनी आजीविका हेतु कृषि पर निर्भर हैं। उन्होंने कहा कि वर्तमान में भारत सहित संपूर्ण विश्व जलवायु परिवर्तन की समस्या से जूझ रहा है। पर्यावरण में अनेक परिवर्तन हो रहे हैं यथा तापमान में बढ़ोत्तरी, वर्षा में कमी, हवाओं की दिशा में परितर्वन आदि प्रभाव दृष्टिगोचर हो रहे हैं। उन्होंने कहा कि मैं यहां आये हुए कृषि वैज्ञानिकों, प्रोफेसर, स्टूडेन्टस को इस विषय पर कृषि एवं प्राकृतिक संसाधनों की खोज एवं पर्यावरण सुरक्षा में एक महत्वपूर्ण कदम होगा। मैं इनको इस इन्टरनेशनल सेमिनार के लिए बधाई देता हूं।

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श्री शाही ने कहा कि यूपी में अभी तक कई जिलों में सामान्य से कम बारिश दर्ज की गई है। उन्होंने बताया कि राज्य के 52 जिलों में औसत से कम बारिश हुई है, जबकि 22 जिलों में सामान्य से अधिक बारिश दर्ज की गई है। पूरे राज्य में अब तक सामान्य से 10 प्रतिशत कम बारिश हुई है।
श्री शाही ने ने बताया कि पिछले कुछ वर्षों में बारिश के पैटर्न में बदलाव आया है। इस बदलाव के कारण कुछ इलाकों में भारी बारिश हो रही है, जबकि कुछ क्षेत्रों में बिल्कुल भी बारिश नहीं हो रही है। उदाहरण के तौर पर, फतेहपुर जिले में इस बार सबसे कम बारिश हुई, जबकि बलरामपुर में सबसे अधिक बारिश दर्ज की गई। पश्चिमी उत्तर प्रदेश में 33 में से 20 जिलों में औसत से कम बारिश हुई है, और शामली जिले में सबसे कम बारिश हुई, जबकि औरैया जिले में सबसे ज्यादा बारिश हुई है।

श्री शाही ने कहा कि कुछ जिलों में बाढ़ की स्थिति भी उत्पन्न हो गई है। उन्होंने बताया कि पर्यावरण बदलाव की वजह से मानसून में काफी बदलाव आया है और यह देखा जा रहा है कि अब बारिश का समय एक महीने आगे शिफ्ट हो गया है। उक्त कार्यक्रम में निदेशक उद्यान डॉ. बी. बी. द्विवेदी, डॉ. इंद्र कुमार चौरसिया, संयोजक/निदेशक उद्यानिक कृषि अनुसंधान समिति, डॉ. प्रतीक रंजन चौरसिया, डॉ. आशुतोष कुमार मिश्र संयुक्त कृषि निदेशक ब्यूरो सहित अन्य सम्मानित गणमान्यजन उपस्थित रहे। सेमिनार के अन्त में उद्यानिकी कृषि अनुसंधान के चेयरमैन डॉ. इन्द्र कुमार चौरसिया ने आये हुए अतिथियों को धन्यवाद दिया।

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