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UP Election 2022: राष्ट्रकवि का सहारा लेकर के एक दूसरे पर हमलावर हैं सपा और भाजपा, जानें क्या किया ऐसा

By प्रिन्स राज 
Updated Date

लखनऊ। कुछ ही हफ्तों में यूपी में विधानसभा(UP Election 2022) का चुनाव शुरु होने वाला है। 10 फरवरी से शुरु होने वाले पहले चरण के चुनाव के साथ कुल सात चरणों में चुनाव होने हैं। इस बीच सत्ताधारी पार्टी भाजपा और प्रमुख विपक्षी दल सपा के बीच कविताओं के माध्यम से भी एक दूसरे पर जबरदस्त हमला बोला जा रहा है। इस माध्यम में दोनों पार्टी के लिए सहारा बने हैं राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर।

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रामधारी सिंह दिनकर के द्वारा लिखी गई किताब रष्मिरथी की लाइनों को लेकर दोनों पार्टियों ने एक दूसरे पर निशाना साधा है। हाल ही में यूपी सरकार में कैबिनेट मंत्री रहे स्वामी प्रसाद मौर्य, धर्म सिंह सैनी और दारा सिंह चौहान ने योगी कैबिनेट और बीजेपी से इस्तीफ़ा दे दिया और समाजवादी पार्टी में शामिल हो गए। इन तीनो नेताओं ने भाजपा पर एक ही आरोप लगाया वा आरोप ये था कि सरकार ने पांच साल में पिछड़ों और दलितों की नहीं सूनी गई।

सरकार ने हर काम इन वर्गो के खिलाफ किया। इस पर अभी तक भाजपा ने कोई जवाब नहीं दिया ​था। फिर यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के ट्वीटर हैंडल से एक ट्वीट किया गया। योगी आदित्यनाथ ने दिनकर के ‘रश्मिरथी'(Rashmirathi) महाकाव्य की कुछ पंक्तियां ट्वीट कर लिखा, ‘पाते हैं सम्मान तपोबल से भूतल पर शूर, ‘जाति-जाति’ का शोर मचाते केवल कायर क्रूर।’

सपा ने किया पलटवार

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के इस वार पर समाजवादी पार्टी ने भी पलटवार किया। सपा ने ‘रश्मिरथी’ की ही पंक्तियों को ट्वीट कर लिखा, ‘ऊपर सिर पर कनक-छत्र, भीतर काले-के-काले, शरमाते हैं नहीं जगत् में जाति पूछनेवाले।’

यूपी बीजेपी ने भी छोड़े तीर

सपा के इस पलटवार के बाद यूपी बीजेपी के आधिकारिक ट्विटर हैंडल से भी दिनकर की ‘रश्मिरथी’ की ही पक्तियां ट्वीट कर पलटवार किया गया। यूपी बीजेपी ने लिखा, ‘तेजस्वी सम्मान खोजते नहीं गोत्र बतला के, पाते हैं जग में प्रशस्ति अपना करतब दिखला के। हीन मूल की ओर देख जग गलत कहे या ठीक, वीर खींच कर ही रहते हैं इतिहासों में लीक।”

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सपा ने दोबारा किया पलटवार

भाजपा की तरफ़ से आए ‘सियासी तीर’ पर सपा ने दोबारा पलटवार किया और ‘रश्मिरथी’ की ही पक्तियां ट्वीट कर लिखा, ‘जाति-जाति रटते, जिनकी पूंजी केवल पाखंड, मैं क्या जानूं जाति? जाति हैं ये मेरे भुजदंड! जनता की रोके राह, समय में ताव कहाँ? वह जिधर चाहती, काल उधर ही मुड़ता है। हुँकारों से महलों की नींव उखड़ जाती सिंहासन खाली करो कि जनता आती है।’

बता दें कि चुनाव आयोग ने कोरोना की वजह से अभी तक सभी दलों के ज़मीन पर आकर चुनावी प्रचार करने पर रोक लगा रखी है। यानी पार्टी सिर्फ़ डिजिटल प्रचार ही कर सकती हैं। ऐसे में अभी से ही राजनीतिक दल इसकी तैयारी में लगे हैं। आगे भी चुनाव में इस तरह के और डिजिटली और रोचक सियासी प्रहार देखने को मिल सकते हैं।

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