UP Election Postpone News : ओमिक्रॉन वैरिएंट (Omicron Variant) के चलते देश में कोरोना संक्रमण तेजी से फैल रहा है। इसको देखते हुए उत्तर प्रदेश में अगले साल 2022 में होने वाले विधानसभा चुनाव पर कोरोना का संकट गहराने लगा है। इलाहाबाद हाईकोर्ट (Allahabad High Court) ने गुरुवार को केंद्र सरकार को यूपी में चुनाव टालने का सुझाव दे चुका है।
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जानें यूपी में चुनाव क्यों टल सकते हैं?
इलाहाबाद हाईकोर्ट (Allahabad High Court) ने कोरोना के बढ़ते मामलों पर चिंता जताते हुए केंद्र सरकार से राजनीतिक रैलियों पर रोक लगाने। इसके साथ ही चुनाव टालने को कहा गया है।
यूपी में कोरोना संक्रमण (Corona Infection) बढ़ने के बाद पाबंदियां भी लगनी शुरू हो गई हैं। इसके साथ ही योगी सरकार (Yogi Government) ने राजनीतिक कार्यक्रमों पर भी रोक लगा दी गई है। साथ ही 25 दिसंबर से रात्रि 11 बजे से सुबह पांच बजे तक नाइट कर्फ्यू (Night Curfew) भी लागू कर दिया गया है।
एक्सपर्ट ने ओमिक्रॉन के कारण जताई तीसरी लहर की आशंका
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दूसरी लहर के आने से पहले भी पश्चिम बंगाल (West Bengal) और असम समेत 5 राज्यों में चुनाव हुए थे। इसके बाद मामले तेजी से बढ़े और बड़ी तादाद में लोगों की मौत हुई थी। इसके बाद मद्रास हाईकोर्ट ने चुनाव आयोग (Election Commission) को जिम्मेदार ठहराते हुए एक्सपर्ट ने आशंका जताई है कि ओमिक्रॉन के कारण तीसरी लहर आ सकती है।
चुनाव टला तो विधानसभा का कार्यकाल बढ़ेगा?
उत्तर प्रदेश की 17वीं विधानसभा का कार्यकाल 14 मार्च 2022 को खत्म हो रहा है। उससे पहले चुनाव कराना जरूरी है।
अगर कोरोना को देखते हुए चुनाव को टाला गया तो इन पांचों राज्यों में राष्ट्रपति शासन लगाया जा सकता है।
बीजेपी नेता सुब्रमण्यम स्वामी ने कहा कि केंद्र सरकार उत्तर प्रदेश में राष्ट्रपति शासन लगाकर चुनाव को 6 महीने के लिए टाल सकती है। फिर सितंबर में चुनाव करवा सकती है। उन्होंने कहा कि ऐसा होता है तो इसमें कोई हैरानी नहीं होगी।
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इसके अलावा संविधान में प्रावधान है कि किसी भी राज्य की विधानसभा का कार्यकाल 1 साल तक के लिए बढ़ाया जा सकता है। बशर्ते देश में आपातकाल लागू हो, लेकिन ऐसा अभी नहीं हो सकता है।
जानें कब-कब टले चुनाव?
1991 में पहले फेज की वोटिंग के बाद राजीव गांधी की हत्या हो गई थी। इसके बाद अगले दो फेज के चुनाव में आयोग ने करीब एक महीने तक चुनाव टाल दिए थे।
1991 में पटना लोकसभा में बूथ कैप्चरिंग होने पर आयोग ने चुनाव रद्द कर दिए थे।
1995 में बिहार विधानसभा चुनाव के दौरान बूथ कैप्चरिंग के मामले सामने आने के बाद 4 बार तारीखें आगे बढ़ाई गई थीं। बाद में अर्ध सैनिक बलों की निगरानी में कई चरणों में चुनाव हुए थे।
2019 के लोकसभा चुनाव में तमिलनाडु की वेल्लोर सीट से डीएमके उम्मीदवार के घर से 11 करोड़ कैश बरामद हुआ था, जिसके बाद वहां चुनाव को रद्द कर दिया गया था।
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2017 में महबूबा मुफ्ती ने अनंतनाग लोकसभा सीट छोड़ दी थी। वहां उपचुनाव करवाने थे। तो आयोग ने सुरक्षाबलों की 750 कंपनियां मांगी। लेकिन केंद्र से 300 कंपनियां ही दी गईं। जिसके बाद आयोग ने अनंतनाग के हालात खराब बताते हुए चुनाव रद्द कर दिया था।
क्या कोरोना के कारण टल चुके हैं चुनाव?
बता दें कि कोरोना महामारी को देखते हुए चुनाव आयोग पिछले साल ही कई राज्यों के पंचायत चुनावों को टाल दिया था। मध्य प्रदेश में इन चुनावों को एक बार फिर से टाला जा सकता है। इसके साथ ही आयोग ने कई लोकसभा और विधानसभा सीटों पर उपचुनावों को भी टाल दिया था। इसके बाद आयोग ने अक्टूबर 2021 में इन चुनावों को करवाया था।