लखनऊ। यूपी (UP) के अस्पतालों में रोगियों से हो रही अवैध वसूली (Illegal Extortion) करने व बदसलूकी करने वाले डाक्टरों व कर्मियों के खिलाफ उप मुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक (Deputy Chief Minister Brajesh Pathak) ने सख्त एक्शन लिया है। डिप्टी सीएम (Deputy Chief Minister) गोंडा के जिला महिला चिकित्सालय (District Women’s Hospital, Gonda) में संविदा पर तैनात दो डाक्टरों व पांच कर्मचारियों को बर्खास्त कर दिया है।
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बदसलूकी व अवैध वसूली में ये हुए बर्खास्त
जिन डाक्टरों को बर्खास्त किया गया है। उनमें डॉ. ज्योतिमा सिंह व डा. परवेज इकबाल शामिल हैं। वहीं ओटी टेक्नीशियन महेंद्र यादव, आशुतोष त्रिपाठी व विष्णु, स्टाफ नर्स नीतू व आशा सरिता सिंह शामिल हैं।
वहीं मुख्य चिकित्सा अधीक्षक (CMS) डॉ. सुषमा सिंह, चिकित्साधिकारी डा. सुवर्णा (Medical Officer Dr. Suvarna) व स्टाफ नर्स शर्मिला के विरूद्ध वृहद दंड की कार्रवाई की संस्तुति की गई है। गैरहाजिर 18 कर्मचारियों से स्पष्टीकरण तलब किया है। अवैध वसूली सम्बन्धी समस्त शिकायतें भी सही मिलीं हैं। मंडलीय अपर निदेशक को मामले में जांच के निर्देश देते हुए चिकित्सा प्रमुख सचिव को कार्रवाई के दिए निर्देश हैं।
वहीं दूसरी ओर गाजियाबाद के एमएमजी जिला चिकित्सालय (MMG District Hospital Ghaziabad) में तैनात डॉ. नितिन कुमार प्रियदर्शी को भी निलंबित कर दिया गया है। डा. प्रियदर्शी द्वारा पूर्व में जिला कारागार में डाक्टर के रूप में तैनाती के दौरान अवैध वसूली व अभद्र व्यवहार करने की शिकायत मिली थी। यही नहीं इन्होंने मैक्सिको के एक नागरिक के साथ भी अभद्रता की थी। इन्हें तत्काल प्रभाव से निलंबित करते हुए मेरठ के मंडलीय अपर निदेशक कार्यालय (Office of Divisional Additional Director, Meerut) से संबद्ध कर दिया गया है।
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मरीजों से गलत व्यवहार किया तो होगी सख्त कार्रवाई
उधर उप मुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक (Deputy Chief Minister Brajesh Pathak) के तरफ से प्रमुख सचिव, चिकित्सा एवं स्वास्थ्य पार्थसारथी सेन शर्मा (Principal Secretary, Medical & Health Parthasarathy Sen Sharma) को निर्देश दिए हैं कि ऐसे किसी भी मामले में आरोपी के खिलाफ सख्त से सख्त कार्रवाई की जाए। सभी डाक्टरों को आचरण में सुधार लाने और मरीजों को हर कीमत पर नि:शुल्क उपचार उपलब्ध कराया जाए। अस्पताल के सीएमएस (CMS) गुणवत्तापरक सुविधाएं और किसी भी तरह की वसूली न हो इसके लिए टीम गठित कर निरीक्षण करें। मरीजों से अस्पतालों के बारे में फीडबैक भी लिया जाए।