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UP News : प्रमुख सचिव वित्त और विशेष सचिव को तल्काल रिहा करें, HC के आदेश पर सुप्रीम कोर्ट का स्टे

By संतोष सिंह 
Updated Date

नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) से यूपी कैडर के 2 आईएएस अधिकारियों को बुधवार को बड़ी राहत मिल गई है। हिरासत में लेने के आदेश पर सुप्रीम कोर्ट पर रोक लगा दी है। दोनों अफसरों को तत्काल रिहा करने का आदेश दे दिया है। इसके साथ ही मुख्य सचिव के खिलाफ जारी किए गए वारंट पर रोक लगा दी है। हाईकोर्ट ने बुधवार को दोनों अफसरों को हिरासत में लिया था। प्रमुख सचिव वित्त सचिव और विशेष सचिव हिरासत में लिए गए थे। चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों को पैसा न देने का मामला है।

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इलाहाबाद हाईकोर्ट (Allahabad High Court) ने सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट के रिटायर्ड जजों को सुविधाएं देने के आदेश की अवहेलना मामले में यूपी सरकार (UP Government)  के प्रमुख सचिव वित्त एसएमए रिजवी (Principal Secretary Finance SMA Rizvi) और विशेष सचिव वित्त सरयू प्रसाद मिश्र (Special Secretary Finance Saryu Prasad Mishra) को न्यायिक अभिरक्षा (Judicial Custody) में ले लिया था। गुरुवार (20 अप्रैल) को सुबह 10 बजे अवमानना आरोप निर्मित करने के लिए हाजिर होने का आदेश दिया था। साथ ही, प्रमुख सचिव गृह को वारंट जारी किया था।

ये आदेश जस्टिस सुनीत कुमार (Justice Suneet Kumar) और जस्टिस राजेंद्र प्रसाद (Justice Rajendra Prasad) की खंडपीठ ने रिटायर्ड जजेज एसोसिएशन की याचिका पर दिया है। अधिकारियों को हिरासत में ले लिया गया है। उन्हें 6 बजे तक आदेश का पालन करने का समय दिया है।

यूपी सरकार कर रही आनाकानी

याची की ओर से अधिवक्ता का कहना था कि यूपी सरकार ने सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में हलफनामा दे रखा है कि, आंध्र प्रदेश गवर्नमेंट द्वारा रिटायर जजों को दी जा रही सुविधा के अनुसार उत्तर प्रदेश में भी सुविधाएं दी जाएंगी। कहा गया है कि यूपी सरकार (UP Government) सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में दिए गए अंडरटेकिंग से ही वादाखिलाफी कर रही है। आंध्र सरकार की तर्ज पर यूपी में सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) और हाईकोर्ट के रिटायर जजों को दी जाने वाली सुविधाएं में आनाकानी कर रही है।

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जानें क्या कहा महाधिवक्ता ने?

सरकार की तरफ से महाधिवक्ता एमसी चतुर्वेदी (Advocate General MC Chaturvedi) का कहना था कि कुछ बिंदुओं पर स्पष्टीकरण मांगा गया था। जो प्राप्त हो गया है। प्रदेश सरकार इसे कैबिनेट के समक्ष शीघ्र रखेगी। सुनवाई के बाद बेंच ने कहा, हाईकोर्ट की ओर से कानून में संशोधन का प्रस्ताव सरकार को भेजा जा चुका है। मगर, सरकार धीमी प्रक्रिया से आगे बढ़ रही है, जो उचित नहीं है।

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