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UP Teacher Online Attendance : राजनीतिक रंग लेने लगा यह मुद्दा, सपा MLC ने लगाई आरोपों की झड़ी, सांसद चंद्रशेखर ने लिखी सीएम योगी को चिट्ठी

By संतोष सिंह 
Updated Date

UP Teacher Online Attendance : यूपी के प्राइमरी स्‍कूलों में ऑनलाइन हाजिरी का शिक्षक तगड़ा विरोध कर रहे हैं। इसी बीच यह मुद्दा राजनीतिक रंग भी लेने लगा है। मंगलवार को समाजवादी पार्टी के एमएलसी आशुतोष सिन्‍हा (SP MLC Ashutosh Sinha)  ने मुख्‍यमंत्री योगी आदित्‍यनाथ (Chief Minister Yogi Adityanath) को इस पर लिखी एक चिट्ठी में पूरी प्रक्रिया को अनुपयोगी बताया है। साथ ही आरोपों की झड़ी लगा दी। उन्‍होंने कहा कि उच्‍चाधिकारियों द्वारा केवल कमीशनखोरी के लिए यह व्‍यवस्‍था लागू की जा रही है। जितने रुपए में इसके साफ्टवेयर खरीदे गए हैं। उतने में विद्यालय में फर्नीचर, लैब, कम्‍प्‍यूटर और लैपटॉप की अच्‍छी व्‍यवस्‍था की जा सकती है, लेकिन घूसखोरी की वजह से ऐसा नहीं हो पा रहा है।

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तो यूपी की नगीना लोकसभा सीट से सांसद आजाद समाज पार्टी के प्रमुख चंद्रशेखर आजाद ने भी सीएम योगी (CM Yogi) को चिट्ठी लिख ऑनलाइन हाजिरी को अनुचित और अव्‍यवहारिक बताया है। उन्‍होंने कहा कि इससे शिक्षकों में भागमभाग की स्थिति पैदा होगी। समाज में शिक्षकों की गरिमा और विश्‍वसनीयता खराब होने से शिक्षा प्रभावित हो सकती है।

मंगलवार को सपा एमएलसी आशुतोष सिन्‍हा (SP MLC Ashutosh Sinha) ने सीएम योगी को भेजे पत्र में लिखा, ‘सरकार द्वारा जितनी सुविधाएं और जितने पैसे सरकारी स्‍कूलों में शिक्षकों पर निगरानी रखने के लिए उक्‍त अनुपयोगी साफ्टवेयर खरीदने में खर्च किए जाते हैं, उससे कम पैसों में विद्यालय प्रांगण में मूलभूत आवश्‍यक व्‍यवस्‍थाएं जैसे शुद्ध पेयजल, बालक और बालिकाओं के लिए अलग-अलग शौचायल, डिजिटल क्‍लास, कम्‍प्‍यूटर शिक्षा आदि की व्‍यवस्‍था की जा सकती है।’

उन्‍होंने कहा कि शिक्षा व्‍यवस्‍था के लिए जरूरी कामों के लिए धनराशि खर्च न करते हुए शिक्षकों-विद्यार्थियों के लिए गैर जरूरी डिजिटल/ ऑनलाइन उपस्थिति, हर सुबह बच्‍चों के साथ सेल्‍फी आदि में खर्च को बढ़ावा दिया जा रहा है जो कि शिक्षकों के शिक्षण के काम में बाधा की तरह है। ऐसी कुवयवस्‍थाओं की वजह से सरकारी स्‍कूल, प्राइवेट स्‍कूलों से लगातार पीछे होते जा रहे हैं। शिक्षकों की एक और बड़ी समस्‍या उनसे गैर शैक्षण‍िक काम लेना है। इसे तत्‍काल बंद किया जाना चाहिए। बेसिक शिक्षा परिषद के शिक्षक पढ़ाने के अलावा ढेर सारे काम करते हैं। बीडीसी से लेकर प्रधानमंत्री तक के चुनाव में यही लगाए जाते हैं। शिक्षकों को प्रदेश के बाकी विभागीय कर्मचारियों की तरह हॉफ सीएल, और वार्षिक 31 ईएल और अन्‍य अवकाश मिलने के साथ ही कैशलेस चिकित्‍सा प्रतिपूर्ति भी मिलनी चाहिए। इसके साथ ही पुरानी पेंशन (ओपीएस) की सुविधा भी होनी चाहिए। इससे शिक्षकों मनोबल बढ़ेगा और प्रदेश में शिक्षा का स्‍तर भी ऊंचा उठेगा। सपा एमएलसी ने शिक्षकों की डिजिलट/ ऑनलाइन हाजिरी की उपयोगिता की जांच कराते हुए इसे तत्‍काल प्रभाव से बंद किए जाने की मांग की।

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सांसद चंद्रशेखर आजाद ने  सीएम योगी से डिजिटल हाजिरी के आदेश को निरस्‍त करने की मांग की

वहीं नगीना से सांसद चंद्रशेखर आजाद ने भी सीएम योगी को लिखी चिट्ठी में डिजिटल/ ऑनलाइन हाजिरी के आदेश को निरस्‍त करने की मांग की। उन्‍होंने लिखा, ‘महानिदेशक स्‍कूल शिक्षा, उतर प्रदेश के द्वारा 5 जुलाई को दिए आदेश में सभी 12 रजिस्‍टर डिजिटल रूप से बनाना पूर्णतया अनुचित और अव्‍यवहारिक प्रतीत होता है। साथ ही शिक्षकों द्वारा बार-बार मोबाइल पर कार्य करने में अभिभावकों में शिक्षकों के प्रति गलत संदेश जा सकता है।’ उन्‍होंने सीएम योगी से अनुरोध किया कि शिक्षकों की गरिमा और विश्‍वसनीयता को ध्‍यान में रखते हुए मामले का संज्ञान लें और आदेश निरस्‍तीकरण के लिए संबंधित अधिकारियों को निर्देशित करें।

पहले दिन ही परिषदीय प्राइमरी स्कूलों में ऑनलाइन हाजिरी व्यवस्था धड़ाम

बता दें कि परिषदीय स्‍कूलों में आठ जुलाई से डिजिटल हाजिरी का आदेश जारी किया गया है, लेकिन शिक्षकों के भारी चलते पहले दिन ही सोमवार को परिषदीय प्राइमरी स्कूलों में ऑनलाइन हाजिरी व्यवस्था धड़ाम हो गई। पूरे प्रदेश में कुल 6,09,282 परिषदीय प्राइमरी शिक्षकों में 2.6 फीसदी यानि 16,015 शिक्षकों ने ही ऑनलाइन हाजिरी दर्ज की, बाकी ने इसका बहिष्कार किया। तमाम शिक्षक संगठन ऑनलाइन हाजिरी के विरोध में लामबंद हो गए हैं। अब उन्‍हें विपक्षी नेताओं का भी साथ मिलने लगा है।

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