Uttarakhand Madhyamaheshwar Temple : देवभूमि उत्तराखंड की सुरम्य घाटियों में पांच केदार स्थित हैं। पांच केदारों में से एक केदार भगवान, रुद्रप्रयाग जिले में भगवान शिव का मंदिर स्थित है। इसे मध्यमहेश्वर अथवा मद्महेश्वर के नाम से जाना जाता है।यहां भगवान शिव की नाभि की पूजा की जाती है। मध्यमहेश्वर मंदिर समुद्र तल से 3,497 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार इस मंदिर का निर्माण पांडवों ने अपनी स्वर्ग की यात्रा के दौरान किया था। इसे बहुत ही सिद्ध मंदिर माना जाता है। तीर्थयात्री यहां बाबा के दर्शन करने आते है।
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इस मंदिर के चारों ओर चौखंबा के विशाल पर्वत हैं। मंदिर के कपाट भी निश्चित समय के लिए खुलते हैं और शीतकाल में कपाट बंद कर दिए जाते हैं। ऊखीमठ के ओंकारेश्वर मंदिर में केदारनाथ जी और भगवान मध्यमहेश्वर का शीतकालीन निवास स्थान होता है।
मान्यता है कि जो भी श्रद्धालु मंदिर में पहुंचकर सच्चे मन से ध्यान लगाता है, उसे शिव के परम धाम में स्थान मिलता है। यहां पिंड दान का विशेष महत्त्व है। कहा जाता है कि जो व्यक्ति यहां पिंड दान करता है, उनके पूर्वजों का उद्धार हो जाता है। साथ ही मान्यता है कि मंदिर परिसर में स्थित पानी की कुछ ही बूंदों से मोक्ष मिल जाता है।