शुक्र राशि परिवर्तन: शुक्र देव अपनी चाल बदल रहे हैं। शुक्र ग्रह को ज्योतिष शास्त्र में भोग-विलास, वैभव और सुख-समृद्धि का कारक माना गया है। पौराणिक कथाओं में शुक्र ग्रह को दैत्य गुरु के रूप में उल्लेखित किया गया है। इनका प्रचलित नाम शुक्राचार्य है। दैत्य गुरु शुक्राचार्य भगवान शिव के परम भक्त थे। कुंडली में शुक्र का प्रभाव शुभ होने से भौतिक सुख-सुविधाओं का लाभ मिलता है व वैवाहिक सुख का आनंद प्राप्त होता है।
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शुक्र 30 अक्टूबर 2021 को सायं 4.11 बजे बृहस्पति की राशि धनु में प्रवेश कर रहा है। शुक्र 8 दिसंबर को दोपहर 2.05 बजे तक इसी राशि में रहेगा फिर मकर में प्रवेश कर जाएगा। 40 दिनों के लिए शुक्र का अपने समकक्ष ग्रह की राशि में आना अनेक मामलों में सुखप्रद रहेगा।
इस गोचर के दौरान मनुष्यों के पास पैसा और ऐश्वर्य के संसाधन खूब जुटेंगे और साथ ही खर्च भी खूब होगा लेकिन यह खर्च विवेकपूर्ण तरीके से होगा। अनावश्यक खर्चो से बचेंगे। शुक्र हिन्दू कैलेण्डर के माह ज्येष्ठ का स्वामी भी माना गया है। यह कुबेर के खजाने का रक्षक माना गया है। शुक्र के प्रिय वस्तुओं में श्वेत वर्ण, धातुओं में रजत एवं रत्नों में हीरा है। इसकी प्रिय दशा दक्षिण-पूर्व है, ऋतुओं में वसंत ऋतु तथा तत्त्व जल है।