लखनऊ। छत्रपति शाहू जी महाराज विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. विनय कुमार पाठक के भ्रष्टाचार के कारनामे परत-दर-परत खुलते जा रहे हैं। एक संगठित टीम बनाकर सुनियोजित तरीके से प्रो. विनय पाठक ने फर्जीवाड़ा किया। गंभीर आरोपों के बाद एफआईआर दर्ज की गई, इसके बाद हर दिन विनय पाठक के कारनामें उजागर होने लगे।
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बावजूद इसके भ्रष्टाचार की चाशनी में लिप्त विनय पाठक पर कार्रवाई नहीं हो रही है। ऐसे में सवाल खड़े होने लगे हैं कि आखिरी सरकार और सिस्टम विनय पाठक पर कार्रवाई से क्यों बच रही है। मामले की जांच के लिए एसटीएफ को भी लगाया गया लेकिन परिणाम शून्य नजर आ रहे हैं। अब सवाल उठ रहा है कि आखिरी एसटीएफ भी विनय पाठक पर कार्रवाई करने से क्यों बच रही है। साथ ही राजभवन की चुप्पी भी सवालों के घेरे में हैं।
योगी सरकार में कौन दे रहा संरक्षण?
उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ भ्रष्टाचारियों पर बेहद ही सख्त है। भ्रष्टाचार में लिप्त किसी को भी बख्शा नहीं जा रहा है। ऐसे में प्रो. विनय पाठक पर सबकी चुप्पी ने कई सवाल खड़े कर दिए हैं। लोगों का कहना है कि इतना भ्रष्टाचार करने के बाद भी प्रो. विनय पाठक को किसके इशारों पर बचाया जा रहा है।
खामोश है राजभवन
कानपुर विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर विनय कुमार पाठक की हाईकोर्ट ने याचिका बीते 15 नवंबर को खारिज कर दी थी। हाईकोर्ट ने याचिका को खारिज करते हुए अपने फैसले में कहा गया है कि उनके खिलाफ प्रथम दृष्टया संज्ञेय अपराध का मामला बनता है। हाईकोर्ट के इस फैसले के बाद भी राजभवन चुप्पी ने पूरे शिक्षा जगत को बेचैन कर रखा है।