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Vijay Mishra jeevan parichay : पूर्वांचल के माफ़िया डॉन भदोही के बाहुबली विधायक विजय मिश्रा का पढ़ें अब तक राजनीतिक सफर

By संतोष सिंह 
Updated Date

Vijay Mishra jeevan parichay : यूपी (UP) के भदोही जिले (Bhadohi District) में निर्वाचन क्षेत्र – 393, ज्ञानपुर सीट (Constituency – 393, Gyanpur seat) पर पूर्वांचल के माफ़िया डॉन व बाहुबली विधायक विजय मिश्रा (Purvanchal’s mafia don and Bahubali MLA Vijay Mishra) ने उत्तर प्रदेश की 17 वीं विधानसभा चुनाव (17th assembly election of Uttar Pradesh) में लगातार चौथी बार जीत दर्ज कर अपनी ताकत का लोहा मनावाया था।

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इससे पहले विजय मिश्रा 2002 में पहली बार ज्ञानपुर सीट से सपा के टिकट पर चुनाव जीते और विधानसभा पहुंचे। इसके बाद 2007 और 2012 में भी वह सपा के टिकट पर चुनाव जीते, लेकिन 2017 के विधानसभा चुनाव में सपा के नए राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) ने विजय मिश्रा (Vijay Mishra) को टिकट नहीं दिया, जिसके बाद वह निषाद पार्टी (Nishad Party) के टिकट पर चुनाव लड़े। इस चुनाव में भी बीजेपी (BJP)की बड़ी लहर के बावजूद विजय मिश्रा (Vijay Mishra) चुनाव जीतने में सफल रहे।

ये है पूरा सफनामा

नाम-विजय मिश्र
निर्वाचन क्षेत्र – 393, ज्ञानपुर,भदोही (Bhadohi)

दल – निर्बल इण्डियन शोषित हमारा अपना दल (Nirbal Indiyan Shoshit Hamara Apana Dal)
पिता का नाम- रामदेव मिश्र
जन्‍म तिथि – 09 जुलाई, 1957
जन्‍म स्थान- खपटिहा (इलाहाबाद)
धर्म- हिन्दू
जाति- ब्राह्मण
शिक्षा- स्नातक
विवाह तिथि- वर्ष 1971 में
पत्‍नी का नाम- रामलली मिश्रा
सन्तान- एक पुत्र, पांच पुत्रियां
व्‍यवसाय- कृषि, व्यापार
मुख्यावास : ग्राम- कौलापुर, पोस्ट-गोपीगंज, जनपद- संत रविदास नगर

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बाहुबली विधायक विजय मिश्रा के परिवार पर योगी सरकार ने कसा शिकंजा

यूपी की योगी सरकार ने भदोही की ज्ञानपुर सीट से विधायक विजय मिश्र (Vijay Mishra) और उनके कुनबे पर शिकंजा कसता जा रहा है। अब विधायक की दो बेटियों के खिलाफ भी मुकदमा दर्ज हो गया है। विधायक व उनकी अधिवक्ता पुत्री रीमा पांडेय, सीमा मिश्रा, भतीजे प्रकाश चंद्र मिश्रा, विकास मिश्रा, कर्मचारी गिरधारी प्रसाद पाठक, हनुमान सेवक पांडेय के खिलाफ जालसाजी का मुकदमा दर्ज किया गया है। विधायक के रिश्तेदार की तहरीर पर मुकदमा दर्ज हुआ है। पिछले साल मुकदमा दर्ज होने पर एमपी भाग गए विधायक विजय मिश्रा जैसे ही वहां हिरासत में लिए गए। उसके बाद बेटी रीमा पांडेय भदोही पहुंच गईं। रीमा पेशे से अधिवक्ता भी हैं और उन्होंने इस संबंध में पुलिस अधिकारियों से मुलाकात कर विधायक को सही सलामत भदोही लाने की मांग की। यही नहीं वह मीडिया के भी सामने पहली बार आईं और अपने पिता को सही सलामत लाने की मांग की करने के साथ पुलिस की कार्रवाई पर कई सवाल खड़े किए।

विजय मिश्रा का रहा है लंबा आपराधिक इतिहास

विजय मिश्रा का लंबा आपराधिक इतिहास रहा है। विजय मिश्रा (Vijay Mishra) के खिलाफ एक समय 60 से ज्यादा आपराधिक मुकदमे दर्ज थे। 2017 विधानसभा चुनाव में विजय मिश्रा ने जो शपथपत्र दिया, उसके अनुसार हत्या, हत्या के प्रयास, आपराधिक साजिश रचने, रेप जैसे तमाम गंभीर मामलों के 16 मुकदमे उन पर चल रहे हैं।

 

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विजय मिश्रा 1980 के आस-पास भदोही (Bhadohi) पहुंच कर काम शुरू किया। उन्हें एक पेट्रोल पम्प मिल गया। कई बार व्यापारिक प्रतिद्वंद्वी आकर धमाका देते। तब मेरे परिचित पंडित कमलापति ने कहा कि चुनाव लड़ो। उन्होंने ही टिकट दिलवाया और 1990 तक हम ब्लॉक प्रमुख हो गए। इस वक़्त तक हमारे राजीव गांधी से बहुत अच्छे सम्बंध हो गए थे। उनके जाने के बाद कांग्रेस से नाता टूट गया। तभी हम नेता जी (मुलायम सिंह यादव) के सम्पर्क में आए।

विजय मिश्रा (Vijay Mishra) की पत्नी रामलली 2005 में ज़िला पंचायत अध्यक्ष (District Panchayat President in Ramlili 2005) हो गईं। विजय मिश्रा का सत्ता का विरोध करने का एक लंबा इतिहास रहा है। फिर वो चाहे मायावती (Mayawati) से इनकी लंबी लड़ाई हो या सपा से इनका विरोध। मिश्रा लंबे समय तक मुख़्तार अंसारी (Mukhtar Ansari) के गुट के प्रमुख स्ट्रैटेजिस्ट और उनके क़रीबी रहे हैं। इसलिए 2017 के राज्य चुनाव में अपनी बाहुबली विरोधी छवि पुख़्ता करने के लिए अखिलेश ने इनसे और मुख़्तार अंसारी दोनों से बराबर दूरी बनाते हुए यह संदेश दिया की अगर विजय का टिकट काटा है तो मुख़्तार को भी गले नहीं लगाया।

विजय मिश्रा (Vijay Mishra) के ऊपर लगे कई आपराधिक मुक़दमों में जुलाई 2010 में बसपा सरकार में नंद कुमार नंदी (Nand Kumar Nandi) पर हुआ जानलेवा हमला सबसे प्रमुख है। 12 जुलाई 2010 को इलाहाबाद में नंदी की हत्या के इरादे के किए गए एक बम विस्फोट में उनके एक सुरक्षाकर्मी और इंडियन एक्सप्रेस के रिपोर्टर विजय प्रताप सिंह सहित दो लोग मारे गए थे। नंदी इस हमले में घायल तो हुए लेकिन उनकी जान बच गई।

बाद में इस मामले में विजय मिश्रा (Vijay Mishra) नामजद रहे। फिर 2012 के चुनाव से ठीक पहले उन्होंने कोर्ट में आत्मसमर्पण किया। 2012 के चुनाव से पहले जब वह आए तो उन्होंने एकदम साधु की वेशभूषा बना रखी थी। लंबी दाढ़ी, लंबे बाल। इसी तरह जेल में रहते हुए सपा के टिकट पर चुनाव लड़ा और जीत गए।

विजय मिश्रा बताते हैं कि यह सारे मुक़दमे झूठे

विजय मिश्रा (Vijay Mishra) ने बताया कि 2009 फ़रवरी में भदोही में उपचुनाव होने थे, मैंने मायावती की मदद करने से इनकार किया तो वो नाराज़ हो गईं। मुझे पकड़ने के लिए पुलिस भेज दी। उसी वक़्त नेता जी भदोही में सभा कर रहे थे. हमने स्टेज से जनता को अपनी पत्नी रामलली के सिंदूर का वास्ता देते हुए कहा कि अब रामलली का सुहाग उन्हीं के हाथों में है। नेताजी ने कहा कि जिसकी हिम्मत हो पकड़कर दिखा दे हमें। फिर वह हमें हेलीकॉप्टर में लेकर उड़ गए। बस इसी के बाद मायावती ने हम पर ये सब झूठे मुक़दमे डलवा दिए।

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राजनीतिक योगदान

विजय मिश्रा ने तीन दशक पहले भदोही से कांग्रेस ब्लॉक प्रमुख (Congress Block Pramukh) के रूप में राजनीतिक यात्रा (Political Journey) की शुरुआत की।

ज्ञानपुर सीट से 2002, 2007 और 2012 में विधानसभा चुनाव समाजवादी पार्टी (Samajwadi Party) के रहमोकरम से जीता।

ऐसा कहा जाता है कि अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) ने ‘बाहुबली -विरोधी’ छवि मज़बूत करने के लिए 2017 के विधानसभा चुनाव से पहले उनका टिकट काट दिया। इसके बावजूद विजय मिश्रा निषाद पार्टी (Nishad Party)  के टिकट पर लड़े और 2017 में मोदी लहर के बावजूद चुनाव जीतने में सफल हुए।

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