Weather Update : मॉनसून वापस लौटने के बाद मौसम का रुख भी जल्द पलटने वाला है। देश में एक साथ एक्टिव हुए दो वेस्टर्न डिस्टर्बेंस 10 राज्यों में ठिठुरन भरी सर्दी लाएंगे। पंजाब, हरियाणा, दिल्ली, उत्तर प्रदेश, राजस्थान के साथ गुजरात, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, छत्तीसगढ़, ओडिशा और तेलंगाना में तापमान 6 से 7 नवंबर के बीच तेजी से गिरेगा। इस वजह से दिन और रात के तापमान में 11 से 17 डिग्री का अंतर आने के आसार हैं।
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मौसम विभाग ने बताया है कि इस समय उत्तर और पश्चिम से लेकर मध्य भारत तक ड्राइ नॉर्थ-वेस्ट हवाएं चल रही हैं। उत्तर के पहाड़ों पर बर्फबारी के बाद ये हवाएं बर्फीले इलाकों से गुजरती हुई मध्य भारत तक ठंडक लेकर पहुंचेंगी। इनकी वजह से ही 6 नवंबर से देश में दो वेस्टर्न डिस्टरबेंस की वजह से उत्तर से लेकर मध्य भारत तक दिन में भी ठिठुरन महसूस होगी।
अगले हफ्ते से गुजरात, राजस्थान और मध्य प्रदेश में आसमान साफ रहने से रात से सुबह के समय सर्दी महसूस होगी, लेकिन दोपहर का तापमान अभी 30 से 35 डिग्री के बीच ही रहेगा। मध्य भारत तक के हिस्सों में सुबह और शाम के समय धुंध और कुहासा छा सकता है। बिल्कुल खुले स्थानों पर हल्का कोहरा भी छा सकता है। दूसरी तरफ, बिहार, झारखंड, पश्चिम बंगाल और समूचे उत्तर-पूर्वी राज्यों में मौसम शुष्क बना रहेगा। अगले एक हफ्ते में धीरे-धीरे तापमान गिरेगा।
मौसम विभाग के रिकॉर्ड बताते हैं कि कम या ज्यादा बारिश का सर्दी से संबंध नहीं होता। जैसे इस बार सामान्य से 6% ज्यादा बारिश हुई। मानसून के बाद भी करीब 65% ज्यादा बारिश हुई। मानसून की विदाई भी देर से हुई तो सर्दी भी ज्यादा पड़ेगी, ऐसा नहीं कहा जा सकता।
विश्व मौसम संगठन के मुताबिक ला-नीना की गतिविधियां उत्तरी गोलार्ध में 2022-23 की सर्दियों के दौरान जारी रहेंगी। यानी इसके मार्च 2023 तक बने रहने की संभावना है। इसके चलते अगले चार महीने कड़ाके की सर्दी पड़ सकती है।
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दक्षिणी प्रायद्वीप में उत्तर-पूर्वी मानसून की आमद
बंगाल की खाड़ी से उत्तर-पूर्वी हवाओं के साथ दक्षिणी प्रायद्वीप की ओर नमी आनी शुरू हो गई है। दक्षिणी राज्यों में 29 अक्टूबर को उत्तर-पूर्वी मानसून के दस्तक देने की संभावना है। इस मानसून का पूर्वोत्तर राज्यों से भी लेना-देना नहीं है। यह मध्यम दर्जे की बारिश के साथ तमिलनाडु, तटीय आंध्र और केरल में आएगा और दिसंबर तक सक्रिय रहेगा।
तमिलनाडु की करीब 47%, आंध्र व तेलंगाना की 31%, कर्नाटक की 21% और केरल की 17% बारिश उत्तर-पूर्वी मानसून में होती है। एक उल्टी बात यह भी है कि जिस वर्ष ला-नीना का असर रहता है, उस वर्ष दक्षिण-पश्चिम मानसून में उत्तर और मध्य भारत में ज्यादा बारिश होती है, लेकिन उत्तर-पूर्व मानसून के दौरान दक्षिणी प्रायद्वीप में कम बारिश होती है।