लखनऊ। यूपी विधान सभा चुनाव-2022 के बीच आरक्षण बचाओ संघर्ष समिति ने सभी राजनैतिक दलों के लिए 3 सूत्रीय मांग-पत्र जारी कर घोषणा पत्र में शामिल करने की मांग की है। इससे पहले आरक्षण बचाओ संघर्ष समिति संयोजक मण्डल प्रान्तीय कार्यसमिति की रविवार को एक आवश्यक बैठक सम्पन्न हुई, जिसमें प्रदेश के सभी जनपदों के संघर्ष समिति संयोजकों व पदाधिकारियों से राय मशविरा किया।
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राजनैतिक दलों के जारी खुला मांग पत्र में अनुसूचित जाति/जनजाति वर्ग के कार्मिकों हेतु पदोन्नति में आरक्षण लागू करना, पिछड़े वर्ग के कार्मिकों के लिये पदोन्नति में आरक्षण की व्यवस्था बहाल करना एवं निजी क्षेत्रों में सरकारी क्षेत्र की भांति आरक्षण की व्यवस्था लागू करना प्रमुख है। संघर्ष समिति ने यह पुरजोर मांग उठायी कि सभी राजनैतिक दल जो अपने को दलित व पिछड़े वर्ग का हितैषी कहते हैं। यदि सच्चे मायने में उनके हितैषी हैं तो संघर्ष समिति के खुले मांग पत्र में प्रस्तावित तीनों मांगों को अपने घोषणा पत्र शामिल करें।
वहीं प्रदेश के 8 लाख आरक्षण समर्थक कार्मिकों ने पुनः हुंकार भरी और कहा इस बार प्रदेश में हर हाल में आरक्षण समर्थकों की सरकार बनाना है। वह दिन दूर नहीं जब सभी राजनैतिक दलों की यह मजबूरी होगी कि वह 85 प्रतिषत बहुजनों की आवाज पर उनके साथ खड़े हों, अन्यथा उन्हें आरक्षण समर्थक वोट की चोट से करारा जवाब देंगे।
आरक्षण बचाओ संघर्ष समिति के संयोजकों अवधेश कुमार वर्मा, केबी राम, आरपी केन, एसपी सिंह, अनिल कुमार, अजय कुमार, अन्जनी कुमार, प्रेमचन्द्र, बिन्दा प्रसाद, एसके बिमल, पीएन प्रसाद, अश्वनी कुमार, जगदीष प्रसाद, अरविन्द फर्सोवाल ने कहा कि इस बार प्रदेष में 403 विधानसभाओं में विशेषतौर पर 86 आरक्षित सीटों पर संघर्ष समिति विषेष ध्यान रखे हुए और वहां पर संघर्ष समिति द्वारा गठित कमेटियां लगातार यह जागरूकता फैला रही हैं। ताकि एकजुट होकर आरक्षण समर्थक सरकार बनाने के लिये वोट की चोट करना। किसी भी हालत में वोट का बंटवारा न हो इसके लिये जन जागरूकता अभियान लगातार जारी है।
संघर्ष समिति का लगातार इस बात पर जोर है कि इस बार आरक्षित सीटों पर ऐसे जनप्रतिनिधियों का चुनाव करना है जो 85 प्रतिशत बहुजन की आवाज बन सके साथ बाबा साहब द्वारा बनायी गयी संवैधानिक व्यवस्था की पूर्ण रक्षा कर सके। काफी लम्बे समय से देखने को मिल रहा है कि आरक्षित सीट से जीतकर आने वाले ज्यादातर जन प्रतिनिधि चुनाव में वोट लेने के लिये बड़ी-बड़ी बातें करते हैं। जीतकर आने के बाद आरक्षण पर हो रहे कुठाराघात के खिलाफ चुप्पी साध लेते हैं। उनसे जब आरक्षण की लड़ाई को लड़ने की बात की जाती है। तो वह पार्टी की मजबूरी बताकर पल्ला झाड़ लेते हैं। ऐसे में इस बार आरक्षण समर्थकों ने तय किया है कि जो हमारी बात पर खरा नहीं उतरता उसे हमारा प्रतिनिधि बनने का कोई अधिकार नहीं है। जो हम सब की बात करेगा वही विधान सभा में राज करेगा यही संघर्ष समिति का नारा है।