लखनऊ। अब पैसे के अभाव में किसी श्रामिक के बच्चों की शिक्षा से दूरी नहीं बनेगी। पैसे के लिए प्रदेश के श्रामिकों को को किसी के सामने हांथ नहीं फैलाना पड़ेगा। बल्कि ऐसे परिस्थिती में सरकार स्वंय अपने श्रामिकों के साथ खड़ी नजर आयेगी। बता दें कि सिर्फ समान्य शिक्षा ही नहीं राजकीय कॉलेजों से इंजीनियरिंग और मेडिकल की पढ़ाई खर्च भी सरकार उठाएगी।
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श्रम विभाग की ओर से हाल में मुख्यमंत्री और मंत्रिपरिषद के समक्ष दिए गए प्रजेंटेशन में 100 दिन से लेकर पांच साल के बीच किए जाने वाले कार्यों का खाका पेश किया था। इसमें निर्माण क्षेत्र के पंजीकृत श्रमिकों के बच्चों को स्नातक स्तर तक की शिक्षा मुफ्त दिए जाने की बात कही गई है। इस प्रस्ताव पर छह महीने में अमल किया जाना है। ऐसा होने पर इसका लाभ करीब डेढ़ करोड़ पंजीकृत श्रमिकों के परिवारों को मिल सकेगा। भाजपा ने विधानसभा चुनाव से पूर्व जारी लोक कल्याण संकल्प पत्र में इसका वादा किया था।