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चीन को पछाड़ कर दुनिया का सबसे बड़ी आबादी वाला देश बना भारत, UN की रिपोर्ट में दावा

By संतोष सिंह 
Updated Date

Amritser, India - September 20, 2013: Indian people are exciting to see the retrect ceremony on the border between India and Pakistan, it happens at about 18:00 every eveing.

नई दिल्ली। संयुक्त राष्ट्र (United Nations) के आंकड़ों के अनुसार भारत की आबादी (India Population) बढ़कर 142.86 करोड़ हो गई है। वह चीन को पीछे छोड़ दुनिया का सबसे अधिक आबादी वाला देश बन गया है।

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संयुक्त राष्ट्र के विश्व जनसंख्या ‘डैशबोर्ड’ (मंच) के अनुसार, चीन की आबादी 142.57 करोड़ है। संयुक्त राष्ट्र जनसंख्या कोष (UNPF) के स्टेट ऑफ वर्ल्ड पॉपुलेशन रिपोर्ट, 2023″ के पॉपुलेशन डेटा को लेकर अनुमान है कि भारत की जनसंख्या चीन के लिए 1.4257 बिलियन के मुकाबले 1,428.6 मिलियन या 1.4286 बिलियन है। वहीं इस सूची में अमेरिका तीसरे स्थान पर है।

2011 में भारत में आखिरी बार हुई थी जनगणना

बता दें कि यह अनुमान पोपुलेशन एक्सपर्ट्स ने UN के पिछले आंकड़ों का इस्तेमाल कर लगाया है। वहीं यूएन के कुछ पॉपुलेशन एक्सपर्ट्स ने ये भी बताया कि भारत और चीन से नए आंकडे़ नहीं मिले हैं। भारत में आखिरी बार साल 2011 में जनगणना की गई थी।

अनुमान के मुताबिक, 340 मिलियन की अनुमानित आबादी के साथ संयुक्त राज्य अमेरिका तीसरे स्थान पर रहेगा। हालांकि भारत और चीन की तुलना में अमेरिका की जनसंख्या बहुत कम है। रिपोर्ट में कहा गया है कि डेटा में फरवरी 2023 तक उपलब्ध जानकारी को शामिल किया गया है।

भारत और चीन में कुल मिलाकर 8.045 बिलियन यानी दुनिया की कुल आबादी का एक-तिहाई से अधिक हिस्सा है, लेकिन दोनों एशियाई दोनों में जनसंख्या वृद्धि धीमी हुई है। चीन में तो भारत की तुलना में ऐसा ज्यादा हुआ है।। पिछले साल छह दशकों में पहली बार चीन की आबादी में कमी दर्ज की गई थी।

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भारत में सरकारी आंकड़ों के अनुसार, देश की वार्षिक जनसंख्या वृद्धि 2011 के बाद से औसतन 1.2% रही है, जबकि इससे पहले के 10 वर्षों में यह 1.7% थी। यूएनएफपीए इंडिया की प्रतिनिधि एंड्रिया वोजनार के मुताबिक, सर्वे के निष्कर्ष बताते हैं कि जनसंख्या की चिंता आम जनता के बड़े हिस्से में फैल गई है। लोग चाहते हैं कि जनसंख्या कंट्रोल हो। हालांकि उन्होंने यह भी कहा कि जनसंख्या को चिंता का कारण नहीं बनना चाहिए या अलार्म नहीं बनाना चाहिए। इसके बजाय, इसे प्रगति, विकास और आकांक्षाओं के प्रतीक के रूप में देखा जाना चाहिए।
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