नई दिल्ली। यौन उत्पीड़न (Sexual Harassment) के आरोपों को लेकर भाजपा सांसद बृजभूषण शरण सिंह (BJP MP Brij Bhushan Sharan Singh) के खिलाफ आंदोलन कर रहे पहलवान आज शाम उत्तराखंड के हरिद्वार जाएंगे। यहां पहलवान अपने मेडल गंगा नदी में प्रवाहित करेंगे। पहलवान बजरंग पुनिया (Bajrang Punia) ने ट्वीट कर इसकी जानकारी दी है।
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बजरंग पुनिया (Bajrang Punia) ने कहा कि 28 मई को जो हुआ वह आप सबने देखा। पुलिस ने हम लोगों के साथ क्या व्यवहार किया? हमें कितनी बर्बरता से गिरफ़्तार किया। हम शांतिपूर्ण आंदोलन कर रहे थे। हमारे आंदोलन की जगह को भी पुलिस ने तहस नहस कर हमसे छीन लिया और अगले दिन गंभीर मामलों में हमारे ऊपर ही एफ़आईआर दर्ज कर दी गई। क्या महिला पहलवानों ने अपने साथ हुए यौन उत्पीड़न के लिए न्याय मांगकर कोई अपराध कर दिया है?
— Bajrang Punia
(@BajrangPunia) May 30, 2023
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पुलिस और तंत्र हमारे साथ अपराधियों जैसा व्यवहार कर रही है, जबकि उत्पीड़क खुली सभाओं में हमारे ऊपर फबतियां कस रहा है। टीवी पर महिला पहलवानों को असहज कर देनी वाली अपनी घटनाओं को क़बूल करके उनको ठहाकों में तब्दील कर दे रहा है। यहां तक कि पास्को एक्ट को बदलवाने की बात सरेआम कह रहा है। हम महिला पहलवान अंदर से इतना ऐसा महसूस कर रही हैं कि इस देश में हमारा कुछ बचा नहीं है। हमें वे पल याद आ रहे हैं जब हमने ओलंपिक, वर्ल्ड चैंपियनशिप में मेडल जीते थे।
अब लग रहा है कि क्यों जीते थे? क्या इसलिए जीते थे कि तंत्र हमारे साथ ऐसा घटिया व्यवहार करे? हमें घसीटे और फिर हमें ही अपराधी बना दे। कल पूरा दिन हमारी कई महिला पहलवान खेतों में छिपती फिरी हैं। तंत्र को पकड़ना उत्पीड़क को चाहिए था, लेकिन वह पीड़ित महिलाओं को उनका धरना ख़त्म करवाने, उन्हें तोड़ने और डराने में लगा हुआ है। अब लग रहा है कि हमारे गले में सजे इन मेडलों का कोई मतलब नहीं रह गया है। इनको लौटाने की सोचने भर से हमें मौत लग रही थी, लेकिन अपने आत्म सम्मान के साथ समझौता करके भी क्या जीना?
भारत के बेटियों की जगह कहां हैं? क्या हम सिर्फ़ नारे बनकर या सत्ता में आने भर का एजेंडा बनकर रह गई
यह सवाल आया कि किसे लौटाएं? हमारी राष्ट्रपति को, जो ख़ुद एक महिला हैं। मन ने ना कहा, क्योंकि वह हमसे सिर्फ़ 2 किलोमीटर बैठी सिर्फ़ देखती रहीं, लेकिन कुछ भी बोली नहीं। बजरंग पुनिया (Bajrang Punia) ने कहा कि हमारे प्रधानमंत्री को, जो हमें अपने घर की बेटियां बताते थे। मन नहीं माना, क्योंकि उन्होंने एक बार भी अपने घर की बेटियों की सुध – बुध नहीं ली। बल्कि नयी संसद के उद्घाटन में हमारे उत्पीड़क को बुलाया और वह तेज सफ़ेदी वाली चमकदार कपड़ों में फ़ोटो खिंचवा रहा था। उसकी सफ़ेदी हमें चुभ रही थी। मानो कह रही हो कि मैं ही तंत्र हूं।
इस चमकदार तंत्र में हमारी जगह कहां हैं, भारत के बेटियों की जगह कहां हैं? क्या हम सिर्फ़ नारे बनकर या सत्ता में आने भर का एजेंडा बनकर रह गई हैं। ये मेडल अब हमें नहीं चाहिए क्योंकि इन्हें पहनाकर हमें मुखौटा बनाकर सिर्फ़ अपना प्रचार करता है यह तेज सफ़ेदी वाला तंत्र और फिर हमारा शोषण करता है। हम उस शोषण के ख़िलाफ़ बोलें तो हमें जेल में डालने की तैयारी कर लेता है।
इन मेडलों को हम गंगा में बहाने जा रहे हैं, क्योंकि वह गंगा मां हैं। जितना पवित्र हम गंगा को मानते हैं उतनी ही पवित्रता से हमने मेहनत कर इन मेडलों को हासिल किया था। ये मेडल सारे देश के लिए ही पवित्र हैं और पवित्र मेडल को रखने की सही जगह पवित्र मां गंगा ही हो सकती है, न कि हमें मुखौटा बना फ़ायदा लेने के बाद हमारे उत्पीड़क के साथ खड़ा हो जाने वाला हमारा अपवित्र तंत्र मेडल हमारी जान हैं, हमारी आत्मा हैं। इनके गंगा में बह जाने के बाद हमारे जीने का भी कोई मतलब रह नहीं जाएगा। इसलिए हम ने यह फैसला किया है।