लखनऊ। यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सोमवार बटन दबाकर 1. 91 करोड़ विद्यार्थियों के लिए उनके अभिभावकों के खाते में 1200 रुपये ट्रांसफर कर दिए। इस रकम से अब अभिभावक अपने बच्चों का जूता मोजा, स्कूल यूनिफॉर्म, स्वेटर, स्कूल बैग, पेन, पेंसिल, कॉपी, रबर व कटर खरीद सकेंगे। राजधानी लखनऊ में इंदिरा गांधी प्रतिष्ठान में सोमवार को आयोजित कार्यक्रम में उन्होंने सर्वाेच्च स्वच्छता वाले विद्यालय के प्रधानाध्यापकों और ग्राम प्रधानों को स्वच्छ विद्यालय पुरस्कार से सम्मानित किया। कार्यक्रम में कायाकल्प दिव्यांजली पोर्टल का भी अनावरण किया है।
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इस मौके पर अपने संबोधन में मुख्यमंत्री योगी ने कहा कि 1.91 करोड़ परिषदीय स्कूलों के बच्चों को डीबीटी से पैसा ट्रांसफर कर बच्चों को शिक्षा से जोड़ने का अभियान शुरू हुआ। स्कूल चलो अभियान के अच्छे परिणाम आये हैं। अभियान की सफलता से 1.91 करोड़ नामांकन हुआ है। कोरोना के कारण हमारा जनजीवन प्रभावित हुआ है। कोरोना से हमारी बेसिक शिक्षा भी सबसे अधिक प्रभावित हुई है। इस दौरान सरकार ने प्रयास कर ऑनलाइन और दूरदर्शन के जरिये शिक्षा की व्यवस्था की।
बेसिक शिक्षा परिषद के विद्यालयों में अध्ययनरत विद्यार्थियों के यूनिफॉर्म, बैग व स्टेशनरी क्रय हेतु धनराशि अंतरण प्रक्रिया का शुभारंभ… https://t.co/6rBjoAxrFo
— Yogi Adityanath (@myogiadityanath) August 1, 2022
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मुख्यमंत्री योगी ने कहा कि 2017 से पहले स्कूलों की स्थिति अच्छी नहीं थी
मुख्यमंत्री योगी ने कहा कि 2017 से पहले स्कूलों की स्थिति अच्छी नहीं थी। स्कूलों में कहीं शिक्षक थे तो छात्र नहीं थे। कहीं भवन नही थे। स्कूल में बिल्डिंग में बड़े बड़े पेड़ थे, स्कूल भवन पार्क लगता था। अभिभावक बच्चों को स्कूल नहीं भेजना चाहते थे लेकिन अब बेसिक शिक्षा को विश्वास का प्रतीक बनाया गया है। पांच साल में विद्यार्थियों की संख्या 1.34 करोड़ से बढ़कर 1.91 करोड़ हो गई है। पहले 60 फीसदी विद्यार्थियों को नंगे पैर स्कूल जाना पड़ता था पर अब वो बच्चे भी कॉन्वेंट स्कूल की तर्ज पर स्थापित परिषदीय स्कूल में जा रहे है।
उन्होंने कहा कि शिक्षकों पर बड़ी जिम्मेदारी है। बच्चों का माता-पिता के बाद सबसे अधिक संवाद शिक्षक से ही होता है। बच्चों की बेसिक शिक्षा की जिम्मेदारी के वाहक शिक्षक हैं। आज का समय तकनीक का समय है। तकनीक के साथ भावनात्मक जुड़ाव रखना होगा। तकनीक से परहेज नहीं करना है। तकनीक बच्चे के आगे बढ़ने का रास्ता प्रशस्त करेगी लेकिन संवेदना बच्चे को राष्ट्र से जुड़ने की प्रेरणा देगी।