लखनऊ: जीवन में बदलाव चाहने वालों के लिए धर्म शास्त्रों में बहुत बारीकी से बताया गया है। सफलता असफलता के बीच जिन कमियों से लोग जूझते है और बुलंदियों को चूमने से चूक जाते हैं उन्हें पौराणिक ज्ञान का सहारा ही जिंदा रखता है। बचपन से ही व्यक्ति सुनता आ रहा है कि माता पिता के आर्शिवाद सफलता कदम चूमती है। ज्योतिष शास्त्र में भी भटके लोगों को ऐसे उपायों के बारे में बताया गया है। इसी तरह आषाढ़ अमावस्या के बारे में कहा गया गया है कि इस दिन मनोयोग से पितरों को याद किया जाय तो पितृ खुश हो कर ऐसा आर्शिवाद देंते है कि जीवन की गाड़ी सरपट दौड़ने लगे।
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हिंदू पंचांग के अनुसार आषाढ़ माह हिंदू वर्ष का चौथा महीना होता है। इस दिन पवित्र नदियों, धार्मिक तीर्थ स्थलों पर स्नान करने का विशेष महत्व है। इसके अलावा दान-पुण्य और पितरों की आत्मा की शांति के लिए किए जाने वाले अनुष्ठानों के लिए भी यह समय अच्छा माना जाता है।यह दिन पितृ दोष के निवारण के लिए भी सही माना गया है।
आषाढ़ अमावस्या का मुहूर्त- आषाढ़ अमावस्या 09 जुलाई को सुबह 05 बजकर 16 मिनट से शुरू होकर 10 जुलाई को सुबह 06 बजकर 46 मिनट पर समाप्त होगी।
सुबह ब्रह्म मुहूर्त में उठें, पवित्र नदी में स्नान करें।
अगर संभव नहीं है तो घर पर ही गंगाजल से शुद्ध हो सकते हैं।
इसके बाद सूर्य देव को अर्घ्य दें।
पितृ तर्पण करें, पितरों की आत्माओं को शांति के लिए व्रत भी रख सकते हैं।
अब आटे की गोलियां बनाकर नदियों, तलाब में मछलियों वाले अन्य जीव-जंतुओं को खिलाएं।
इसके अलावा आप ब्राह्मणों को भी भोज करवाएं, उन्हें दक्षिणा भी दें।