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श्रावण मास 2021 : सावन में शिव की पौराणिक महिमा और प्रचलित नामों का करें श्रवण

By अनूप कुमार 
Updated Date

श्रावण मास 2021: सावन का महीना भगवान शि‍व को अति प्रिय है। हर तरफ शिवालयों में हर हर, बम बम ,जय भोलेनाथ की ध्वनि गूंजती है। सावन भोलेनाथ का प्रिय महीना है। सम्पूर्ण ब्रह्मांड शिव के अंदर समाया हुआ है। जब कुछ नहीं था तब भी शिव थे । जब कुछ न होगा तब भी शिव ही होंगे। शिव को महाकाल कहा जाता है, अर्थात समय। पंचांग के अनुसार 24 जुलाई 2021, शनिवार को आषाढ़ मास का पूर्ण होने जा रहा है। वहीं 25 जुलाई 2021, रविवार से श्रावण मास का आरंभ होगा। श्रावण मास को सावन का महीना भी कहा जाता है।

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सभी शास्त्रों में मिलता कि भगवान शिव भक्तों पर परम कृपा करते है। उनकी साधना में साधक को किसी तरह की कठिनाई का सामना नहीं करना पड़ता है। भगवान शिव का उपासक जीवन में कभी भी निराश नहीं हो सकता है क्योंकि भगवान शंकर तो औढरदानी हैं।

‘शिव पुराण’ में शिव के जीवन चरित्र पर प्रकाश डालते हुए उनके रहन-सहन, विवाह और उनके पुत्रों की उत्पत्ति के विषय में विशेष रूप से बताया गया है। भगवान भोले नाथ् के 108 नाम ऐसे हैं जिनके मनन और श्रावण मात्र से भक्तों के कष्ट दूर हो जाते हैं। सावन मास में शिव की पौराणिक महिमा और भोलेनाथ के प्रचलित नामों का श्रावण करना बहुत ही पुनीत और फलित माना जाता है। नामों का उल्लेख पुराणों में मिलता है। कुछ प्रचलित नाम – महेश, नीलकंठ, महादेव, महाकाल, शंकर, पशुपतिनाथ, गंगाधर, नटराज, त्रिनेत्र, भोलेनाथ, आदिदेव, आदिनाथ, त्रयंबक, त्रिलोकेश, जटाशंकर, जगदीश, प्रलयंकर, विश्वनाथ, विश्वेश्वर, हर, शिवशंभु, भूतनाथ और रुद्र।

 

 मां पार्वती ने निराहार रह कर श्रावण मास में किया था  कठोर व्रत 

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भगवान शि‍व को सावन का महीना इतना प्रिय क्यों है, इसे लेकर एक पौराणि‍क कथा प्रचलित है। जिसमें सनत कुमारों द्वारा भगवान शिव से सावन माह के प्रिय होने का कारण पूछा, तो भगवान शिव ने इसका उत्तर दिया- कि जब देवी सती ने अपने पिता दक्ष के घर में योगशक्ति द्वारा अपने देह का त्याग किया था। उससे पहले देवी सती ने महादेव को प्रत्येक जन्म में पति के रूप में पाने का प्रण किया था। अपने दूसरे जन्म में देवी सती ने राजा हिमाचल और रानी मैना के घर में पार्वती के रूप में जन्म लिया था।पार्वती के रूप में देवी ने अपनी युवावस्था में, सावन के महीने में अन्न, जल त्याग कर, निराहार रह कर कठोर व्रत किया था। मां पार्वती के इस व्रत से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने देवी पार्वती से विवाह किया। तभी से भगवान महादेव सावन का महीन अतिप्रिय है।

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