Afghanistan Crisis: अफगानिस्तान पर तालिबान (Taliban) ने कब्जा कर लिया है। कब्जे के बाद अफगानिस्तान में तालीबानी अत्याचार (Taliban atrocities) चरम पर है। तालिबानी लड़ाके वहां बच्चे, महिलाएं, बुजुर्ग, प्रवासी सबको ढूंढ कर उन पर जुल्म कर रहे है। काबुल एयरपोर्ट तक पहुंचने से लेकर विमान के दिल्ली लैंड करने में भी कई परेशानियां आ रही हैं। अफगानिस्तान में हो रही हिंसा और खून खराबे के बीच तालिबान के खिलाफ अफगानी नागरिक सड़कों पर उतर कर विरोध में हल्ला बोल दिया है। तालिबान अब अफगानिस्तान नई सरकार बनाने के लिए जिहादी नेताओं और राजनेताओं के साथ मिल कर बातचीत का दौर तेज कर दिया है।
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तालिबान का सह-संस्थापक मुल्ला अब्दुल गनी बरादर (Mullah Abdul Ghani Baradar) शनिवार को काबुल पहुंच गया है। यहां वो समूह के सदस्यों और अन्य राजनेताओं संग नई अफगान सरकार बनाने को लेकर बातचीत करेगा। खबरों के अनुसार वह आज काबुल में होगा।’
बरादर को साल 2010 में पाकिस्तान में गिरफ्तार किया गया था। लेकिन वो ज्यादा समय तक हिरासत में नहीं रहा। साल 2018 में अमेरिका के दबाव के बाद उसे पाकिस्तान ने जेल से रिहा कर दिया। और फिर उसे कतर स्थानांतरित किया गया। ऐसा कहा जाता है कि तत्कालीन राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के कार्यकाल में अफगानिस्तान में अमेरिका के विशेष प्रतिनिधि जलमी खलीलजाद (Zalmay Khalilzad) ने पाकिस्तान से बरादर को छोड़ने के लिए कहा था ताकि वो कतर में बातचीत का नेतृत्व कर सके।
दूसरी तरफ अफगानिस्तान (Afghanistan) में तालिबान की जंग खत्म नहीं हुई। अफगानिस्तान के कई इलाकों में इस संगठन को प्रतिरोध का सामना करना पड़ रहा है। अफगानिस्तान के उपराष्ट्रपति अमरुल्ला सालेह (Amrullah Saleh) ने खुद को कार्यवाहक राष्ट्रपति घोषित किया है। और तालिबान से निपटने के लिए समर्थन जुटा रहे हैं। सालेह इस वक्त पंजशीर में हैं और उनके नेतृत्व में नर्दर्न अलायंस तालिबान के लड़ाकों का सामना करने के लिए तैयार हो रहा है। ऐसे में अफगानिस्तान गृहयुद्ध में फंसता दिख रहा है।