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Afghanistan Crisis: पूर्व राष्ट्रपति अशरफ गनी को बड़ा झटका, भाई ने भी अब अफगानियों को दे दिया धोखा

By अनूप कुमार 
Updated Date

Afghanistan Crisis: बंदूखों के बल पर कब्जा जमाने वाले तालिबान (Taliban) की कूरता कम नहीं हो रही है। पिछले कुछ दिनों से अफगानिस्तान में तालीबानी अत्याचार (Taliban atrocities) चरम पर है। तालिबानी लड़ाके वहां बच्चे, महिलाएं, बुजुर्ग, प्रवासी सबको ढूंढ कर उन पर जुल्म कर रहे है। अफगानिस्तान में हो रही हिंसा और खून खराबे के बीच तालिबान के खिलाफ अफगानी नागरिक सड़कों पर उतर कर विरोध में हल्ला बोल दिया है।अफगानिस्तान (Afghanistan) में तालिबान की जंग खत्म नहीं हुई। अफगानिस्तान के कई इलाकों में इस संगठन को प्रतिरोध का सामना करना पड़ रहा है। अफगानिस्तान के उपराष्ट्रपति अमरुल्ला सालेह (Amrullah Saleh) ने खुद को कार्यवाहक राष्ट्रपति घोषित किया है। और तालिबान से निपटने के लिए समर्थन जुटा रहे हैं। सालेह इस वक्त पंजशीर में हैं और उनके नेतृत्व में नर्दर्न अलायंस तालिबान के लड़ाकों का सामना करने के लिए तैयार हो रहा है। ऐसे में अफगानिस्तान गृहयुद्ध में फंसता दिख रहा है।

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अफगानिस्तान के इस खैफनाक मंजर के बीच एक बहुत बड़ी खबर आ रही है। अफगानिस्तान में तालिबानी राज आते ही देश छोड़कर भागने वाले पूर्व राष्ट्रपति अशरफ गनी (Ashraf Ghani) के भाई ने भी अब अफगानियों को धोखा दे दिया है।

 

 

हशमत गनी (Hashmat Ghani) ने कथित तौर पर तालिबान से हाथ मिलाया है। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, हशमत गनी ने तालिबानी नेता खलील-उर-रहमान और धार्मिक नेता मुफ्ती महमूद जाकिर की उपस्थिति में आतंकवादी समूह के लिए अपने समर्थन की घोषणा की है।

अशरफ गनी इस समय अपने परिवार के साथ संयुक्त अरब अमीरात में हैं। काबुल न्यूज ने बुधवार को कई ट्वीट कर जानकारी दी थी कि काबुल से भागने के बाद गनी यूएई के अबू धाबी में सेटल हो गए हैं।

अशरफ गनी पर आरोप लगे कि वह तालिबान को काबुल सौंपने के बाद 15 अगस्त को चार कार और एक हेलीकॉप्टर में ढेर सारा कैश भरकर देश से भाग गए। सोमवार को रूसी दूतावास की प्रवक्ता निकिता इशचेंको ने बताया था, ‘शासन का पतन। यही बात बताती है कि कैसे गनी अफगानिस्तान से भाग गए। चार कारें पैसे से भरी हुई थीं, उन्होंने पैसे के दूसरे हिस्से को हेलीकॉप्टर में डालने की कोशिश की, लेकिन सबकुछ उसमें फिट नहीं हुआ। और कुछ पैसा नीचे भी गिर गया।’ हालांकि गनी ने इन आरोपों को खारिज कर दिया है।

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दूसरी तरफ अफगानिस्तान (Afghanistan) में तालिबान की जंग खत्म नहीं हुई। अफगानिस्तान के कई इलाकों में इस संगठन को प्रतिरोध का सामना करना पड़ रहा है। अफगानिस्तान के उपराष्ट्रपति अमरुल्ला सालेह (Amrullah Saleh) ने खुद को कार्यवाहक राष्ट्रपति घोषित किया है। और तालिबान से निपटने के लिए समर्थन जुटा रहे हैं। सालेह इस वक्त पंजशीर में हैं और उनके नेतृत्व में नर्दर्न अलायंस तालिबान के लड़ाकों का सामना करने के लिए तैयार हो रहा है। ऐसे में अफगानिस्तान गृहयुद्ध में फंसता दिख रहा है।

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