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Afghanistan Crisis: पंजशीर से क्यों खौफ खाता है तालिबान, अहमद मसूद ने चेताया- भुगतने होंगे गंभीर परिणाम

By अनूप कुमार 
Updated Date

Afghanistan Crisis: अफगानिस्तान(Afghanistan) पर कब्जे के बाद तालिबान (Taliban) किसी से भी टकराने के लिए तैयार बैठा है। अफगानिस्तान में लोगों का जीवन नर्क बनाने के बाद तालिबान ने अब सीधे-सीधे अमेरिका को धमकी दे दी है। तालिबान ने कहा है कि अगर जो बाइडन सरकार (joe Biden Government) ने अफगानिस्तान से अपने सैनिकों को 31 अगस्त तक वापस नहीं बुलाया, तो गंभीर परिणाम भुगतने होंगे। वहीं पंजशीर को कब्जाने की तालिबान की कोशिश को करारा झटका लगा है। विद्राहियों ने 300 से ज्यादा तालिबानी इलाकों को मार गिराया है। पंजशीर में विद्रोहियों की फौज मौजूद है। ताबिलान के लड़ाकों को ढेर करने के साथ ही विद्रोहियों ने उनकी सप्लाई चेन को भी कब्जे में ले लिया है।

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दूसरी तरफ अफगानिस्तान में पंजशीर घाटी (Panjshir) पर तालिबान (Taliban) बड़े हमले की तैयारी में है, लेकिन अहमद मसूद की सेना भी तैयार है।

अहमद मसूद का उनका कहना है कि आतंक के सामने सरेंडर नहीं करेंगे। काबुल पर कब्ज़े के बाद तालिबान के लड़ाके अब विद्रोहियों के गढ़ पंजशीर घाटी की ओर बढ़ रहे हैं।

पंजशीर घाटी अफगानिस्तान का वो हिस्सा है जो अब तक तालिबान के कब्जे में नहीं आया है। उधर, इस इलाके में विद्रोहियों का नेतृत्व कर रहे अहमद मसूद के साथ पूर्व उपराष्ट्रपति अमरुल्लाह सालेह और बल्ख प्रांत के पूर्व गवर्नर की सैन्य टुकड़ी भी है। बेशक पंजशीर अब तालिबान के लिए भी विरोध का मुखर स्वर बनता जा रहा है। आइये जानते हैं पंजशीर से तालिबान आखिर क्यों खौफ खाता है।

राजधानी काबुल के नजदीक स्थित यह घाटी इतनी खतरनाक है कि 1980 से लेकर 2021 तक इस पर कभी भी तालिबान का कब्जा नहीं हो सका है।इतना ही नहीं, सोवियत संघ और अमेरिका की सेना ने भी इस इलाके में केवल हवाई हमले ही किए हैं, भौगोलिक स्थिति को देखते हुए उन्होंने भी कभी कोई जमीनी कार्यवाही नहीं की।

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पंजशीर प्रांत  की भगौलिक बनावट ऐसी है कि कोई भी सेना इस इलाके में घुसने की हिम्मत नहीं जुटा पाती। चारों तरफ से ऊंचे-ऊंचे पहाड़ों से घिरे इस इलाके में बीच में मैदानी भाग है। जहां की भूलभुलैया को समझना हर किसी के लिए आसान नहीं है।अफगानिस्तान के उपराष्ट्रपति अमरुल्लाह सालेह (Vice President Amrullah Saleh) भी इसी इलाके से आते हैं। रविवार को उन्होंने ट्वीट कर कहा कि मैं कभी भी और किसी भी परिस्थिति में तालिबान के आतंकवादियों के सामने नहीं झुकूंगा।मैं अपने नायक अहमद शाह मसूद, कमांडर, लीजेंड और गाइड की आत्मा और विरासत के साथ कभी विश्वासघात नहीं करूंगा। मैं उन लाखों लोगों को निराश नहीं करूंगा जिन्होंने मेरी बात सुनी। मैं तालिबान के साथ कभी भी एक छत के नीचे नहीं रहूंगा। कभी नहीं।

तालिबान ने जब जुलाई के शुरूआत में अफगानिस्तान के प्रांतों पर हमले शुरू किए तो कई जगह तो उन्हें बिना प्रतिरोध के ही जीत मिल गई। बताया जा रहा है कि अफगान नेशनल आर्मी के जवानों के बीच यह खबर फैलाई गई कि मिलिट्री के शीर्ष कमांडरों ने तालिबान के साथ समझौता कर लिया है। संचार का अभाव और असलहों की कमी से सैनिकों को भी इस पर विश्वास होने लगा। इसी कारण अफगान सेना के जवानों ने तो कई इलाकों में बिना एक भी गोली फायर किए तालिबान के सामने सरेंडर कर दिया लेकिन पंजशीर एकमात्र ऐसा प्रांत है जो अब भी तालिबान के कब्जे से बाहर है।

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