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खिलाड़ियों को दूर कर आखिर ब्यूरोक्रेटस और नेताओं के हाथों में क्यों है ‘खेलों’ की कमान ?

By टीम पर्दाफाश 
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नई दिल्ली। जापान में टेक्यो ओलंपिक (tecyo olympics) का आयोजन किया गया है। टेक्यो ओलंपिक (tecyo olympics) में भारत (भारत) के खिलाड़ी बेहतरीन प्रदर्शन कर रहे हैं। हालांकि, उम्मीद के मुताबिक, अभी तक भारत को मेडल नहीं मिला है। भारतीय खिलाड़ी (Indian players) प्रतिद्धंदी खिलाड़ियों से जमकर मुकाबला कर रहे हैं। इन सबके बीच खेलों के प्रमुख लोगों पर सवाल उठने लगा है।

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देश में खेले जाने वाले ज्यादातर खेलों की कमान ब्यूरोक्रेटस (bureaucrats) और नेताओं के हाथों में हैं, जिनका खेलों से दूर—दूर तक वास्ता नहीं है। ब्यूरोक्रेटस और नेताओं के हाथों में कमान होने के कारण खिलाड़ियों (players) को ट्रेनिंग से लेकर कई तरह की मुश्किलों का सामना करना पड़ता है।

यही नहीं खिलाड़ियों को समय पर क्या चाहिए ये भी सुनिश्चत नहीं हो पाता? ऐसे में खिलाड़ियों को कई मुश्किलों से गुजरना पड़ता है। लिहाजा, उसकी तैयारियों में बाधा पहुंचती है और वो अपने प्रदर्शन में सफल नहीं हो पाता।

दूसरे क्षेत्र के लोगों को दी जाती है कमान
भारत में हॉकी (hockey in india), बैटमिंटन (badminton), फुटबॉल (Football), टेनिस (Tennis), कुश्ती (Wrestling), भारोत्तोलन (lifting weights) समेत कई ऐसे खेल हैं, जिसके प्रमुख ऐसे लोग हैं जिनका इन खेलों से दूर दूर तक कोई रिश्ता नहीं है। क्रिकेट में भी कुछ ऐसा ही देखने को मिल रहा है। बीसीसीआई (BCCI) के मुख्य सचिव (Chief Secretary) की कमान जय शाह को सौंप दी गई, जिसका क्रिकेट में अभी तक कोई योगदान नहीं रहा। ऐसे ही हॉकी की कमान ज्ञानेंद्रो निंगोंबम को सौंपी गई। इसके साथ ही अन्य खेलों में भी नेता, ब्यूरोक्रेटस, के अलावा उनके करीबियों को अध्यक्ष बनाया जाता है।

यूपी में भी ब्यूरोक्रेटस और नेताओं का कब्जा
उत्तर प्रदेश के खेल संघों में भी ब्यूरोक्रेटस और नेताओं का कब्जा बना हुआ है। यहां पर बैटमिंटन के चेयरमैन विराज दास गुप्ता और अध्यक्ष की कमान आईएएस अफसर नवनीत सहगल को दी गयी है।

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