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पंचायत चुनाव: हाईकोर्ट के आदेश के बाद प्रदेश भर में गहमागहमी का माहौल, आरक्षण को लेकर देर शाम जारी हो सकता है नया शासनादेश

By टीम पर्दाफाश 
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लखनऊ। त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव के आरक्षण को लेकर हाईकोर्ट के आदेश के बाद पूरे उत्तर प्रदेश में गहमागहमी का माहौल है। जिला स्तर के अधिकारी इस संबंध में शासन से आदेश जारी होने का इंतजार कर रहे हैं। वहीं शासन से जुड़े सूत्रों का कहना है कि वरिष्ठ अधिकारी कल से ही हाईकोर्ट के आदेश पर मंथन में लगे हैं, आज देर शाम या बुधवार तक इस संबंध में नये शासनादेश के जारी होने की उम्मीद है।

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सूत्रों ने बताया कि पंचायत राज विभाग के अपर मुख्य सचिव मनोज कुमार सिंह और पंचायत राज निदेशालय की निदेशक किंजल सिंह ने हाईकोर्ट के आदेश को लेकर अधिवक्ताओं और विधि परामर्शदाताओं के साथ अब तक कई बार बैठकें की है। सूत्र यह भी बताते हैं कि नये शासनादेश का मसौदा लगभग तैयार हो चुका है और आज देर शाम अथवा बुधवार तक उसे जारी कर प्रदेश के सभी जिलाधिकारियों को भेज दिया जाएगा।

गौरतलब है कि प्रदेश में त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव को लेकर चल रही आरक्षण की प्रकिया को इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ ने सोमवार को रोक लगा दी। कोर्ट ने वर्ष 2015 के आधार पर सीटों के आरक्षण का आदेश दिया है। न्यायमूर्ति रितुराज अवस्थी व न्यायमूर्ति मनीष माथुर की खंडपीठ ने यह भी आदेश दिया है कि 27 मार्च तक संशोधित आरक्षण सूची जारी करके 25 मई तक पंचायत चुनाव करा लिए जाएं।

प्रदेश में त्रिस्तरीय पंचायतों के लिए 75 जिला पंचायत अध्यक्ष, 826 ब्लाक प्रमुख, 58,194 ग्राम प्रधान, 3051 जिला पंचायतों के वार्ड सदस्य, 75855 ब्लाकों के वार्ड सदस्य और 7,31,813 ग्राम पंचायतों के वार्ड सदस्यों का चुनाव होना है। इसके लिए प्रदेश भर में आरक्षण की प्रक्रिया जारी थी। सभी पदों के लिए अनंतिम आरक्षण आवंटन के बाद आठ मार्च तक आपत्तियां दर्ज कराई गई थीं। इसके बाद 13-14 मार्च तक आपत्तियों का निस्तारण कर 17 मार्च तक आरक्षण आवंटन की अंतिम सूचियां जिलों में प्रकाशित की जानी थीं। इस बीच हाईकोर्ट के 12 मार्च के आदेश के चलते पूरी प्रकिया को अगले आदेश तक स्थगित कर दिया गया था। इसके बाद सोमवार को कोर्ट ने पूरी आरक्षण प्रक्रिया को ही वर्ष 2015 के आधार पर करने का आदेश दिया है।

हाईकोर्ट के इस आदेश से प्रदेश में पंचायत चुनाव अब विलंब से संपन्न हो सकेंगे। पहले आरक्षण का निर्धारण 1995 को आधार वर्ष मानकर चक्रानुक्रम में किया गया था, लेकिन अब हाईकोर्ट ने 2015 के चुनाव को आधार वर्ष मानकर आरक्षण जारी करने के आदेश दिए हैं।

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जानकारों का कहना है कि नए आदेश से जिला पंचायत अध्यक्ष व सदस्य, ब्लॉक प्रमुख एवं क्षेत्र पंचायत सदस्य (बीडीसी) और ग्राम प्रधान व ग्राम पंचायत सदस्य यानि सभी पदों का अब तक निर्धारित किया गया आरक्षण प्रभावित होगा।

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