नई दिल्ली। पीएम मोदी ने राष्ट्रपति के अभिभाषण पर लाए गए धन्यवाद प्रस्ताव पर लोकसभा में बुधवार को किसान कानून समेत अन्य मुद्दों पर अपनी राय रखी। पीएम ने कहा कि नए कृषि कानूनों ने किसानों से कुछ नहीं छीना है, फिर भी इसका विरोध हो रहा है।
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उन्होंने कहा कि ये कानून किसी के लिए भी बाध्यकारी नहीं हैं, सभी के लिए वैकल्पिक व्यवस्था मौजूद है। यानी जो चाहे इसे चुने जो न चाहे वो दूर हट सकता है। हमने पुरानी मंडियों को भी बनाए रखा है।
इस बजट में मंडियों को आधुनिक बनाने के लिए और बजट की व्यवस्था की गई है। उन्होंने कहा कि हमने लगातार न्यूनतम समर्थन मूल्य को बढ़ाया है। उन्होंने कहा कि मैं बेहद ही हैरान हूं कि पहली बार सदन में इस तरह का तर्क दिया जा रहा है कि जब मैंने मांगा ही नहीं तो दिया क्यों? इस पर मैं कहना चाहता हूं कि यह विकल्प के तौर पर है।
सभी के लिए जरूरी नहीं है। इस देश में दहेज के खिलाफ कानून बना, लेकिन उसकी किसी ने मांग नहीं की थी। तीन तलाक पर कानून की किसी ने मांग नहीं की थी, लेकिन फिर भी कानूनों की जरूरत थी, इसलिए बनाया।
पीएम मोदी ने कृषि सुधारों पर जोर देते हुए कहा, जब तक हम खेती को आधुनिक नहीं बनाएंगे तब तक हम एग्रीकल्चर सेक्टर को मजबूत नहीं बना सकते। हमारा किसान सिर्फ गेहूं की किसानी तक सीमित रहे, ये भी ठीक बात नहीं। देखना होगा कि दुनिया में किस तरह से काम किया जा रहा है। इसके साथ ही पीएम मोदी ने किसान आंदोलन को लेकर भी अपनी बात रखी।
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उन्होंने कहा कि तोड़फोड़ करने से आंदोलन कलंकित होता है। पंजाब में टेलिकॉम के टावरों को तोड़ा जा रहा है। आखिर इन टावरों को तोड़ने का किसान आंदोलन से क्या संबंध है। देश को आंदोलनकारियों और आंदोलनजीवियों में फर्क को समझना होगा। इस दौरान उन्होंने विपक्ष पर तंज भी कसा। पीएम ने विपक्ष पर निशाना साधते हुए भोजपुरी की एक पुरानी कहावत भी कही। उन्होंने कहा कि खेलब ना खेले देइब, खेलिए बिगाड़ब।
प्राइवेट सेक्टर भी जरूरी
पीएम मोदी ने कहा कि देश का सामर्थ्य बढ़ाने में सभी का सामूहिक योगदान है। जब सभी देशवासियों का पसीना लगता है, तभी देश आगे बढ़ता है। देश के लिए पब्लिक सेक्टर जरूरी है तो प्राइवेट सेक्टर का योगदान भी जरूरी है। आज देश मानवता के काम आ रहा है तो इसमें प्राइवेट सेक्टर का भी बहुत बड़ा योगदान है।