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Air Potato : कैंसर, थायराइड ,पाइल्स और गले की परेशानी में रामबाण है हवा में उड़ता आलू

By संतोष सिंह 
Updated Date

Benefits of Air Potato : कुदरत का अनमोल करिश्मा है। हवा में उड़ता हुआ आलू है। इसको कई नाम से पुकारते हैं। चूंकि यह आलू की तरह होता है, लेकिन पौधों की बेल में इसके कंद तैरते रहते हैं। इसलिए इसे एयर पोटैटो (Air Potato) कहा जाता है। कुछ जगहों पर इसे अंगीटा कहा जाता है।

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इसके साथ ही इसे एयर यम, बीटर यम, चिकी यम, एरियल यम और पर्सनिप यम भी कहा जाता है। इसका वैज्ञानिक नाम डायोस्कोरिया बल्बीफेरा (Dioscorea bulbifera) है। अंगीटा का इस्तेमाल कई तरह की क्रोनिक बीमारियों में किया जाता है। पिछले कुछ सालों में इस पर हुई कई रिसर्च के बाद फर्मास्युटिकल कंपनियों का ध्यान अंगीटा पर ज्यादा गया है। अंगीटा से कैंसर, थायराइड, स्किन इंफेक्शन, गले में खराश, ऑर्काइटिस आदि बीमारियों में इलाज किया जा सकता है। चीनी चिकित्सा पद्धति में इसका बहुत इस्तेमाल किया जाता है। हालांकि आयुर्वेद, यूनानी और यूरोपियन मेडिसीन में भी इसका कम इस्तेमाल नहीं है। इस पौधे की जड़, तना, पत्तियां और बल्ब यानी कंद सभी का औषधीय इस्तेमाल किया जाता है। इसका स्वाद नमकीन और तीखा होता है।

अंगीटा के अद्भुत फायदे

कैंसर – अंगीटा का इस्तेमाल चीनी चिकित्सा पद्धति में कैंसर से बचाव के लिए किया जाता है। साइंस डायरेक्ट जर्नल (Science Direct Journal) के मुताबिक जब इसका चूहों पर क्लीनिकल ट्रायल किया गया तो इसमें एंटी-कैंसर गुण पाया गया। अध्ययन के मुताबिक अंगीटा के कंद का सेवन करने से कोलोन कैंसर, लिवर कैंसर और ब्रेस्ट कैंसर में ट्यूमर का ग्रोथ रूक जाता है।

स्किन से बीमारियों में रामबाण-अध्ययन में पाया गया है कि अंगीटा में एंटी-बैक्टीरियल, एंटी-फंगल गुण पाया जाता है। यह ई. कोलाई बैक्टीरिया को तुरंत मार देता है। स्किन से संबंधित समस्या होने पर अंगीटा की पत्तियों का पेस्ट बनाकर प्रभावित स्किन पर लगाने से बीमारी दूर हो सकती है। इसके कंद का सेवन कर स्किन इंफेक्शन को कम किया जा सकता है।

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गले से संबंधित परेशानी में रामबाण-रिपोर्ट के मुताबिक अंगीटा में एंटी-इंफ्लामेटरी गुण (Anti-Inflammatory Properties)पाया जाता है। इसके कंद का सेवन करने से गले में खराश, दर्द या बलगम को दूर किया जा सकता है। अंगीटा की जड़ को पेस्ट बनाकर इसे दूध के साथ खाने से अस्थमा से भी राहत मिल सकती है। इसके कंद का सेवन सर्दी-जुकाम-खांसी में रामबाण साबित हो सकता है। यहां तक कि टीबी की बीमारी में भी अंगीटा का इस्तेमाल किया जाता है।

पेट दर्द – अंगीटा के कंद को उबालकर खाने से पेट का दर्द ठीक हो सकता है। वहीं अंगीटा में बहुत अधिक मात्रा में फाइबर होता है जिसके कारण यह पेट से जुड़ी समस्याएं जैसे कि गैस, कब्ज, बदहजमी, डायरिया इत्यादि को ठीक कर सकता है।

पाइल्स – अंगीटा के कंद से ही पाइल्स या बवासीर का भी इलाज किया जाता है। अंगीटा का सेवन से ऑर्काइटिस (orchitis) की बीमारी का भी इलाज किया जा सकता है। ऑर्काइटिस में पुरुषों के टेस्टिकल्स में सूजन हो जाती है। यह बैक्टीरिया या वायरल के कारण होता है। चूंकि अंगीटा एंटी-बैक्टीरियल और एंटी-वायरल भी होता है। इसलिए इस बीमारी में अंगीटा का इस्तेमाल किया जाता है।

थायराइड – अंगीटा का इस्तेमाल ग्वॉइटर की बीमारी में भी किया जा सकता है। थायरॉयड बढ़ जाने के कारण गले में ग्वॉइटर की बीमारी होती है जिसमें गले में सूजन हो जाती है।

डायबिटीज – अध्ययन के मुताबिक अंगीटा के कंद का सेवन करने से डायबिटीज भी कंट्रोल हो सकता है।

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एचआईवी –रिपोर्ट के मुताबिक यूगांडा के लोग एचआईवी पीड़ित मरीजों को अंगीटा के कंद को उबाल कर खिलाया जाता है।

एंटी-इंफ्लामेटरी-अंगीटा में एंटी-इंफ्लामेटरी गुण पाया जाता है. यह सूजन से संबंधित किसी भी तरह के दर्द से राहत दिलाता है। यानी यह अर्थराइटिस या जोड़ों के दर्द से राहत दिलाता है।

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