Amaltas: सेहत का खजाना आयुर्वेद में भरा है। आयुर्वेदिक चिकित्सा में जड़ी बूटी और वनस्पतियों को औषधि के रूप में प्रयोग किया जाता है। भारत में यह पद्धति बहुत ही समृद्ध है। जड़ी बूटियां भारतीय लोगों के लिए जीवन रेखा है। अमलतास को आयुर्वेद में बहुत प्रमुख स्थान मिला है। अमलतास भारत और पाकिस्तान में प्रचलित है और दक्षिण पूर्व एशिया के कुछ हिस्सों में भी पाया जाता है। इसके व्यापक औषधीय गुणों के कारण, भारत के कई हिस्सों में इसकी खेती की जाती है। अमलतास के सभी भाग- पत्ते, बीज, जड़, गूदा, फल और छाल में विभिन्न औषधीय गुण होते हैं।
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आयुर्वेदिक साहित्य के अनुसार अमलतास का स्वाद मीठा और कड़वा होता है। यह त्वचा रोग (कुष्ठ), बुखार (ज्वर), आमवात रोग (अमावता), हृदय रोग (हृदरोग), मासिक धर्म संबंधी समस्याएं, माइग्रेन, जलन, पीलिया, गले में सूजन, कुष्ठ रोग और खालित्य जैसी कई स्थितियों में सहायक है। यह शिथिलता (श्रमसनम) के लिए सबसे अच्छी दवा के रूप में जाना जाता है। यह शरीर की तीनों ऊर्जाओं: वात, पित्त और कफ को शांत करने में भी सहायक है। अमलतास के फलों के अर्क में रेचक गुण होते हैं और यह त्वचा रोगों, पेट दर्द और बुखार के प्रबंधन में भी सहायक होते हैं। अमलतास की छाल में एंटीऑक्सीडेंट (कोशिका क्षति की रोकथाम) के गुण होते हैं।
अमलतास जोड़ों के दर्द को कम करने में भी मददगार है। अमलतास की पत्तियों को रोज़ाना खाने से जोड़ों में दर्द और सूजन की दिक्कत से आराम मिलता है। जिससे गठिया की समस्या भी कम होती है।